वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गंगा का जलस्तर तेजी से घट रहा है. इसे लेकर धर्मनगरी में श्रद्धालुओं के माथे पर चिंता की लकीरें हैं. वे तेजी से घट रहे गंगा नदी के जलस्तर को लेकर चिंतित हैं. गंगा का जलस्तर पिछले आठ साल के निचले स्तर पर जा पहुंचा है. जबकि बारिश होने में अभी दो महीने बाकी है. गंगा के जलस्तर में खतरनाक ढंग से आई गिरावट से चिन्तित डीएम योगेश्वर राम मिश्रा ने उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखा है. उन्होंने प्रदेश में स्थित दो बैराज से गंगा में पानी छोड़े जाने की गुजारिश की है.


इस पत्र में उन्होंने वाराणसी के आम नागरिकों और श्रद्धालुओं की चिंता का जिक्र किया है. उन्होंने इस पत्र के जरिए अनुरोध किया है कि इस स्थित को देखते हुए जल्द नरोरा या कानपुर बैराज से गंगा नदी में पानी छोड़ा जाए. विशेषज्ञों का कहा है कि नदी के प्रवाह में ठहराव और अंधाधुंध ग्राउंडवाटर के इस्तेमाल गंगा के जलस्तर में गिरावट की बड़ी वजह है.


गंगा का जलस्तर गिरने से इसके पानी में प्रदूषण स्तर भी बढ़ गया है. इससे गंगा के पानी में पलने वाले जीव भी संकट में हैं. गंगा के जलस्तर को लेकर केंद्रीय जल आयोग ने जो आंकड़े जारी किए हैं, वे काफी चिंताजनक हैं. 24 अप्रैल 2018 को गंगा का जलस्तर गिरकर 56.615 मीटर तक आ पहुंचा है. यह 9 जुलाई 2010 को रिकॉर्ड किए गए जलस्तर 57.16 मीटर से आधा मीटर नीचे जा चुका है.


बताया जा रहा है कि नरोरा और कानपुर में पानी का रोका जाना गंगा में पानी की कमी का कारण है. भीमगौड़ा, नरोरा और कानपुर बैराज में ही काफी पानी लोअर और अपर गंगा कैनाल में डाइवर्ट कर दिया जाता है. इसका सीधा असर वाराणसी तक के जलस्तर पर पड़ता है. अगर इस मामले में सरकार ने जल्द कोई कदम नहीं उठाया तो मानसून से पहले यह हालात ज्यादा बिगड़ सकते हैं.