लखनऊ: यूपी के गाजीपुर में कांस्टेबल सुरेश वत्स की मौत में बड़ा खुलासा हुआ है. घटना के एक चश्मदीद ने बताया कि पथराव में नहीं घेर कर कॉन्स्टेबल सुरेश प्रताप वत्स को मारा गया था. चश्मदीद ने ये भी बताया कि फोर्स के आने के बाद जैसे तैसे कांस्टेबल को अस्पताल लेकर जा सका.


चश्मदीद पुजारी धर्मानंद महाराज पुजारी ने बताया कि कॉन्स्टेबल को भीड़ ने घेर लिया था और उसे उतने पत्थर मारे की वो यहीं मरणासन्न हो गया था. हमलोग घायल सिपाही को लेकर मंदिर के अंदर आये पर भीड़ मंदिर पर भी पत्थरबाजी कर रही थी और मंदिर में घुसना चाह रही थी. हम सभी साधु बहुत कोशिश कर उनको रोक पाए. बाद में और फोर्स के आने के बाद किसी तरह उसे अस्पताल के लिए रवाना किया गया पर यहीं पर उसका शरीर पीला पड़ चुका था.


शहीद कॉन्सटेबल सुरेश वत्स का कल प्रयाग राज में अंतिम संस्कार कर दिया गया. शनिवार को कांस्टेबल गाज़ीपुर में पीएम की रैली से ड्यूटी कर वापस जा रहे थे. इसी दौरान सड़क पर निषाद पार्टी के लोग जाम लगाकर धरना प्रदर्शन कर रहे थे. कॉन्सटेबल उनको शांत कराने के लिए गए थे तभी हुई झड़प के दौरान उनकी हत्या कर दी गई.


योगी आदित्यनाथ सरकार ने पीड़ित परिवार को मुआवजा देने का एलान किया है. सरकार उनकी पत्नी को 40 लाख, माता पिता को 10 लाख और परिवार के किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी देगी. शहीद सिपाही सुरेश वत्स की हत्या के केस में पुलिस को निषाद पार्टी के महासचिव की तलाश है.


पत्नी ने उठाए सवाल, बोटा बोला- पुलिस खुद सुरक्षित नहीं
सुरेश वत्स की पत्नी ने पूरी घटना में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं. शहीद की पत्नी का कहना है कि सरकार मुआवजे के बजाए इंसाफ दे. उनका कहना है कि सिर्फ जांच और खानापूर्ति से इंसाफ नहीं मिलेगा. शहीद सुरेश वत्स के बेटे ने कहा, ''पुलिस अपनी खुद की सुरक्षा नहीं कर पा रही है. हम उनसे और क्या उम्मीद करें? इससे पहले बुलंदशहर और प्रतापगढ़ में इसी तरह की घटनाएं हो चुकी हैं.''


अखिलेश यादव ने साधा योगी सरकार पर निशाना
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गाजीपुर मामले पर योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि लापरवाही से घटना घटी है. सीएम खुद कहते हैं ठोक दो लेकिन लोग समझ नहीं पाते कि ठोकना किसे है.