गरीब सवर्णों को आरक्षण: रामविलास पासवान ने की मांग- विधेयक को संविधान की नौवीं अनुसूची में डाला जाए
पासवान ने लोकसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान हस्तक्षेप करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इससे पहले एससी-एसटी कानून को लेकर दलित समाज की शंकाओं का समाधान किया.
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने सामान्य वर्ग के गरीबों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक लाने के सरकार के कदम का स्वागत किया. मंगलवार को उन्होंने कहा कि विधेयक को संविधान की नौवीं अनुसूची में डाला जाना चाहिए ताकि यह न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर हो जाए.
पासवान ने लोकसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान हस्तक्षेप करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इससे पहले एससी-एसटी कानून को लेकर दलित समाज की शंकाओं का समाधान किया, ओबीसी आयोग बनाया, पदोन्नति में आरक्षण लागू किया और अब सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाया है. उन्होंने दावा किया कि इन सारे कदमों की वजह से मोदी सरकार फिर से सत्ता में आएगी.
एलजेपी अध्यक्ष ने कहा कि अगर सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को भी 10 प्रतिशत आरक्षण का हक मिल जाए और पिछड़े वर्ग को कोई नुकसान नहीं हो तो इस कदम को लेकर लोगों को क्या दिक्कत हो सकती है. उन्होंने कहा कि लोक जनशक्ति पार्टी के सदस्य के नाते ‘मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि इसे और आरक्षण से जुड़े सभी प्रावधानों को संविधान की नौवीं अनुसूची में डाला जाए ताकि इन्हें अदालत में नहीं ले जाया जा सके.’ पासवान ने कहा कि निजी क्षेत्र में आरक्षण पर भी सरकार को कदम उठाना चाहिए.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय न्यायिक सेवा की शुरूआत करने की भी मांग करते हुए कहा कि इससे न्यायिक क्षेत्र में भी सभी वर्गों के लोगों को प्रतिनिधित्व मिलेगा. उन्होंने कहा कि राम मंदिर के मुद्दे पर भी प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार किया जाएगा और उसके बाद देखेंगे, प्रधानमंत्री के इस बयान का स्वागत किया जाना चाहिए. उन्होंने भारतीय न्यायिक सेवा के गठन की भी मांग की.
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