नई दिल्ली: मोदी कैबिनेट में जनरल विजय कुमार (वीके) सिंह भी शामिल हो गए हैं. वीके सिंह ने बृहस्पतिवार को राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली. इससे पहले वे मोदी सरकार में विदेश राज्य मंत्री थे. दिल्ली से सटी गजियाबाद सीट पर विदेश राज्यमंत्री जनरल वी क़े सिंह ने गठबंधन उम्मीदवार सपा के सुरेश बंसल को 501,500 वोटों से हरा कर लगातार दूसरी बार जीत हासिल की है. वीके सिंह देश के पहले प्रशिक्षित कमांडो हैं, जो आर्मी चीफ बने थे.


विजय कुमार सिंह हरियाणा के भिवानी ज़िले के बपोरा नामक गांव से हैं. उनके दादा जूनियर कमीशन अधिकारी थे और पिता भारतीय सेना में कर्नल थे. उन्होंने राजस्थान के पिलानी स्थित बिड़ला पब्लिक स्कूल में अपनी पढ़ाई पूरी की है.

जनरल वीके सिंह का राजनीतिक सफर
वीके सिंह वर्तमान में गाजियाबाद लोकसभा सीट से सांसद हैं वो भारतीय सेना के थल सेनाध्यक्ष थे. वीके सिंह 31 मई 2012 को थल-सेनाध्यक्ष के पद से सेवानिवृत्त हो गए. वीके सिंह ने 1 मार्च 2014 को बीजेपी का दामन थामा था. 2014 के लोकसभा चुनाव में ही उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी की शुरूआत करते हुए भिनेता से राजनेता बने कांग्रेस प्रत्य़ाशी राज बब्बर को करारी शिकस्त दी थी.

मोदी सरकार में उन्हें विदेश राज्य मंत्री का पद संभाला. सीरिया-इराक जैसे देशों में मुश्किल समय में भारतीयों को निकालने में जनरल वीके सिंह ने काफी अहम भूमिका निभाई थी. विदेश राज्य मंत्री बनने से पहले नॉर्थ ईस्ट मामलों के राज्य मंत्री रह चुके हैं.

गाजियाबाद लोकसभा सीट पहली बार 2008 में बनाई गई थी. इस सीट पर इससे पहले सिर्फ दो बार चुनाव हुए हैं. पहला चुनाव 2009 में हुआ था जब मौजूदा गृहमंत्री राजनाथ सिंह मैदान में थे औऱ वो चुनाव जीतकर गाजियाबाद के सांसद बने. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राजनाथ सिंह को लखनऊ से टिकट दिया. राजनाथ ने लखनऊ में भी जात हासिल की और मोदी सरकार में केंद्रीय गृह मंत्री बने.

2014 में इस सीट से जनरल वीके सिंह के नाम चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. वीके सिंह ने फिल्म अभिनेता और कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर को भारी मतों से हराया था.

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार की पहली पारी में विदेश राज्य मंत्री के रूप में सिंह ने युद्धग्रस्त यमन में साल 2015 में चलाए गए ‘‘आपरेशन राहत’’ में चुनौतीपूर्ण अभियान की कमान संभाली. इस अभियान के दौरान यमन से 4800 भारतीयों और अन्य देशों के 1972 नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाला गया था.

जुलाई2016 में भी जनरल वी के सिंह ने एक बार फिर से हिंसाग्रस्त दक्षिणी सूडान में ‘‘आपरेशन संकट मोचन’’ की कमान संभाली और वहां फंसे भारतीय नागरिकों को निकाला.

उन्होंने कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मामलों में भारत के प्रतिनिधि के रूप में शानदार भूमिका निभाई. इसके अलावा एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, कैरिबाई द्वीपों तथा यूरोप में विशेष कार्यक्रमों में शामिल हुये.

राजनीति में शामिल होने से पहले 68 वर्षीय जनरल सिंह सेनाध्यक्ष थे. वे परम विशिष्ट सेवा मैडल, अति विशिष्ट सेवा मैडल, युद्ध सेवा मैडल जैसे सम्मानों से नवाजे जा चुके हैं.

सेनाध्यक्ष रहते उनके साथ कुछ विवाद भी जुड़े थे. जब वह सेनाध्यक्ष बने तब उन्होंने दावा किया कि वह 1951 में पैदा हुये थे न कि 1950 में जैसा कि सेना के आधिकारिक रिकार्ड में दर्ज है.

वह 31 मार्च 2010 में सेनाध्यक्ष बने और 31 मई 2012 को इसी पद से सेवानिवृत्त हुए. जनरल सिंह एक मार्च 2014 को भाजपा में शामिल हुये और 2014 लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र से पहली बार चुनाव मैदान में उतरे और विजयी हुए.

सिंह इंडियन पोलो एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं और टेनिस, गोल्फ और बैडमिंटन के अलावा घुड़सवारी में भी रूचि रखते हैं.