मथुरा: 40 साल से सैंकड़ों असहाय गायों की सेवा कर रही जर्मन मूल की महिला सुदेवी का गाय प्रेम अब वीजा समाप्त होने के कारण समाप्त होता नजर आ रहा है. कानूनी अड़चनों के चलते शायद ही अब वह भारत लौटे. इसे लेकर जर्मन मूल की महिला सुदेवी काफी दुखी हैं.
सुदेवी ने वीजा अवधि बढ़ाने के लिए अब मथुरा की सांसद हेमा मालिनी से गुहार लगाई है. सांसद हेमा मालिनी ने सुदेवी दासी की बात सुनकर उनको आश्वस्त किया है कि वह उनकी वीजा अवधि बढ़वाने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से बात करेंगी. इसके साथ ही सांसद ने उनके द्वारा गौ सेवा के कार्य की सराहना की और कहा कि भारतीयों को भी इनसे सीख लेनी चाहिए.
कौन हैं सुदेवी, उन्होंने क्यो शुरू की गौ सेवा
विदेशी महिला का जन्म 2 मार्च 1958 में जर्मनी शहर में हुआ. इनका असली नाम फ्रेडरिक इरिन ब्रूनिग है. बता दें कि वो 1972 में जर्मनी से भारत घूमने आई थी. भारत घूमने के दौरान जब वह ब्रज भूमि आई तो उन्हें सड़क किनारे एक बीमार गाय को तड़पते देखा तो वह दुःखी हो गईं और उन्होंने सड़क पर पड़ी गायों की सेवा करने का संकल्प ले लिया.
गोवर्धन के राधा कुंड से कुछ ही दूरी पर कोन्हई गांव के खेतों में सुदेवी गायों के लिए काम करती हैं. सुदेवी ने कौनहाई गांव में 5 बीघा जमीन किराए पर ले कर ब्रज में सड़क किनारे पड़ी रहने वाली असहाय एबं बीमार गायों को आश्रय दिया और गो सेवा शुरू कर दी.
सुदेवी की गौशाला में 1300 से अधिक बैल , बछड़े हैं
सुदेवी की गौशाला में 1300 से अधिक बैल , बछड़े और वृद्ध गाए हैं और ये किसी न किसी बीमारी या घटना से जख्मी हुई हैं. किसी गाय को दिखाई नहीं देता तो किसी गाय से चला तक नहीं जाता. सुदेवी दासी ऐसी ही गायों का बिना किसी स्वार्थ के सेवा करती हैं. इन गायों की सेवा के लिए ही इस विदेशी महिला ने खुद को ही समर्पित कर दिया.
इलाके के लोग भी करते हैं गर्व
सुदेवी गोवर्धन की परिक्रमा भी करती हैं गायों की सेवा में लगी विदेशी महिला बिना किसी जिझक के गायों को अपनी ही गौशाला में रख लेती हैं. राधा सुरभि नाम की इस गौशाला में लगभग 60 लोग काम करते हैं. गौशाला और आसपास के लोग सुदेवी का गाय प्रेम देखकर अब भारत सरकार से अपील कर रहे की उसके वीजा की अवधि बढ़ा दी जाए.