लखनऊ: उत्तर प्रदेश आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने भटककर दहशतगर्दी की राह पर चल पड़े नौजवानों की ‘घर वापसी’ का अभियान शुरू करते हुए इस सिलसिले में एक हेल्पलाइन भी प्रारम्भ की है.


एटीएस के पुलिस महानिरीक्षक असीम अरण ने बताया कि इस वक्त उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के करीब 25 युवाओं की ‘घर वापसी’ या आतंकवाद के रास्ते पर ले जाने वाली सोच से मुक्ति दिलाने का अभियान जारी है. इनमें लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, गोरखपुर, बिजनौर तथा मुजफ्फरनगर जिलों के लड़के शामिल हैं.


उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर इन नौजवानों द्वारा डाली गयी पोस्ट, किये गये ‘लाइक्स’ और की गयी टिप्पणियों के मद्देनजर उनके अंदर बसी कट्टरता को देखते हुए इस अभियान की जरूरत महसूस की गयी.


अरण ने बताया कि एटीएस संदेह पैदा करने वाली आनलाइन गतिविधियों पर नजर रखी रही है और जरूरत पड़ने पर ‘घर वापसी’ प्रक्रिया के लिये कुछ परिवारों से सम्पर्क किया जाएगा.


उन्होंने बताया कि इस 12 सूत्रीय अभियान का मकसद उन परिवारों की मदद करना है, जिनके युवा भटककर आतंकवादी विचारधारा पर चल पड़े हैं. ऐसे युवक अक्सर कट्टरपंथियों के जाल में फंसकर आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त हो जाते हैं.


अरण ने बताया कि एटीएस ने एक हेल्पलाइन शुरू की है और अपने घर के भटके हुए बच्चों को सही राह पर लाने के इच्छुक लोग 0522-2304588 तथा 9792103156 नंबरों पर फोन करके मदद मांग सकेंगे. उन परिवारों तथा भटके हुए युवाओं की पहचान गुप्त रखी जाएगी.


‘घर वापसी’ की प्रक्रिया के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि इस काम में धर्मगुरओं, माता-पिता तथा परिवार के सदस्यों के साथ-साथ उन युवाओं के दोस्तों की भी मदद ली जाएगी. इस मकसद उन युवाओं को धर्म के बारे में सही जानकारी देना है.


अरण ने बताया कि कट्टरपंथी सोच से बाहर निकलने की कोशिश करने वाले युवाओं से पुलिस उनके घर में बातचीत करेगी. साथ ही उन्हें थाने में भी बुलाया जाएगा, ताकि उनके अंदर विश्वास पनप सके. यह प्रक्रिया करीब एक साल की होगी. उन्होंने बताया कि ऐसे युवकों की गतिविधियों को जांचने के लिये औचक निरीक्षण की योजना भी बनायी जा रही है. साथ ही एटीएस विभिन्न सरकारी योजनाओं में उनके नामों की सिफारिश करके उन्हें शिक्षा तथा रोजगार दिलाने में भी मदद करेगा.


मालूम हो कि उत्तर प्रदेश एटीएस समेत पांच राज्यों की सुरक्षा एजेंसियों ने गत 20 अप्रैल को अलग-अलग जगहों से चार संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्ताार किया था. इनमें बिजनौर से गिरफ्तार किये गये मुफ्ती फैजान और तनवीर का सम्बन्ध आईएसआईएस से बताया जाता है. बिजनौर के रहने वाले नाजिम शमशाद अहमद को महाराष्ट्र स्थित ठाणे जिले से गिरफ्तार किया गया था, जबकि मुजम्मिल को पंजाब के जालंधर से पकड़ा गया था.


उन्हीं के साथ छह अन्य संदिग्धों को भी पकड़ा गया था, लेकिन सुबूत ना मिलने की वजह से उन्हें उनके परिवारों को सौंप दिया गया था. मालूम हो कि यूपी एटीएस ने पिछली सात मार्च को लखनउ में एक मुठभेड़ के दौरान सैफुल्लाह नाम संदिग्ध आतंकवादी को मारा था. उसके बाद हुई जांच में आईएसआईएस-खोरासान ग्रुप के बारे में खुलासा हुआ था. मौके पर मिली सामग्री के आधार पर शुरू हुई जांच का दायरा बाद में पांच राज्यों तक फैल गया था.