गोंडा। कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से हुए लॉकडाउन के बीच गैर प्रांतों में मेहनत मजदूरी करने वाले मजदूर अपने घरों को लौट आए हैं. घर लौटे मजदूरों के पास काम नहीं है जिसकी वजह से उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. मजदूर कामकाज के लेकर परेशान चल रहे हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी प्रवासी मजदूरों को गांव में ही रोजगार देने का वादा किया है जिसके तहत गोंडा में 5 हजार 500 प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के तहत काम दिया जा रहा है.


गोंडा में प्रवासी मजदूरों के 4870 नए जॉब कार्ड बनाए गए हैं. मनरेगा में लोगों को रोजगार मिलने से प्रवासी मजदूरों के परिवार का भरण-पोषण आसानी से हो सकेगा. मनरेगा के तहत तालाबों की सफाई सहित अन्य कार्य करवाए जा रहे हैं और प्रवासी मजदूर गांव में रोजगार पाकर खुश हैं. उनका कहना है कि लॉकडाउन के दौरान दूसरे प्रदेशों से अपने घर पहुंचे हैं. रोजी-रोटी का संकट था, अब मनरेगा के तहत काम मिल गया है इससे घर का भरण पोषण होगा.



वहीं, पूरे मामले पर मुख्य विकास अधिकारी शशांक त्रिपाठी का कहना है कि बहुत सारे प्रवासी मजदूर जिले में वापस आए हैं. गोंडा से बहुत से लोग बाहर काम करते हैं. इनके गांव में वापस आने से रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई थी. सरकार के ज्यादा से ज्यादा लोगों के जॉब कार्ड बनवाकर उनको रोजगार देने की कोशिश की है. करीब 4870 जॉब कार्ड नए बने हैं. आज के समय में करीब 5000 से अधिक प्रवासी मजदूर मनरेगा के तहत कार्यों में लगे हुए हैं.



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