गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरक्षपीठ स्थित जन समस्या निवारण केन्द्र के अस्थायी कैम्प कार्यालय ने अधिकारियों और कर्मचारियों की घंटी बजाने वाला मोबाइल नंबर जारी कर दिया है. इस नंबर से आने वाले फरियादियों की समस्याओं के निवारण और स्टेटस जानने के लिए संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के पास कॉल की जाएगी. इसके साथ ही पीड़ित व्यक्ति को न्याय मिल जाने तक उससे संपर्क किया जाएगा. वहीं पीड़ित इस नंबर पर कॉल कर अपनी समस्या की स्थिति के बारे में भी जान सकता है. हालांकि ये नंबर किसी भी पीड़ित के शिकायत दर्ज कराने के लिए नहीं है.
एबीपी न्यूज ने एक दिन पहले इस नंबर के जारी किए जाने के संबंध में सूचना दी थी. हालांकि ऱविवार दोपहर डेढ़ बजे के बाद घंटी बजाने वाले इस मोबाइल नंबर 6389938700 को जारी कर दिया गया. गोरक्षपीठ के मुख्यमंत्री जन समस्या निवारण अस्थायी कैम्प कार्यालय से जारी किए गए. इस नंबर से अधिकारियों और कर्मचारियों को कॉल कर पीड़ित व्यक्ति के मामले की स्टेटस के बारे में पता किया जाएगा. इस नंबर से कॉल जाने पर मुख्यमंत्री का आदेश समझकर संबंधित अधिकारी और कर्मचारियों को त्वरित न्याय के लिए पहल करनी होगी.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दरबार में आने वाले फरियादियों में अधिकतर को न्याय नहीं मिलने की शिकायत लगातार मिल रही थी. कई ऐसे भी फरियादी रहे हैं, जिनके 5 से 6 बार जनता दर्शन में आने के बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा था. ऐसे में जब ये शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंची, तो उन्होंने इसे गंभीरता से लिया है. अब गोरक्षपीठ में हर रोज आने वाले पीड़ितों को त्वरित न्याय मिलेगा. रविवार दोपहर बाद से जारी हुए इस नंबर पर पीडि़तों की अभी तक 50 से 60 कॉल जा चुकी है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब सांसद रहे हैं, तभी से गोरक्षपीठ में जनता दरबार लगता रहा है. गोरखपुर और बस्ती मंडल से आने वाले फरियादियों की समस्याओं को सुनकर उसके निस्तारण के लिए योगी पहल करते रहे हैं. छोटे-मोटे मामलों में वे खुद फोन करके अधिकारियों को समस्या के शीघ्र निस्तारण के लिए निर्देश देते रहे हैं. जब वे मुख्यमंत्री बन गए, तो गोरक्षपीठ में आने वाले फरियादियों की संख्या भी बढ़ गई. सैकड़ों की संख्या में फरियादी मंदिर में आने लगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब यहां पर रहते हैं, तो फरियादियों की संख्या और बढ़ जाती है. उनकी गोरक्षपीठ में अनुपस्थिति के दौरान भी गोरखपुर-बस्ती मंडल और आसपास के जिलों के फरियादी यहां पर आते हैं.
उनकी समस्याओं के निस्तारण के लिए वृद्धा आश्रम में जनसुनवाई हो रही है. वृद्धा आश्रम में अस्थायी कैंप कार्यालय में जन समस्या निवारण अधिकारी मोतीलाल सिंह को नियुक्त किया गया है. उनके साथ मंदिर के सहयोगी दिव्य कुमार सिंह और विनय कुमार गौतम, सहायक कम्प्यूटर आपरेटर आनंद गुप्ता की ड्यूटी लगाई गई है. सप्ताह के सातों दिन सुबह 10 बजे से 2 बजे तक जनसुनवाई के लिए अधिकारी बैठते हैं. हर रोज 25 से 30 केस आना आम बात है. बीते एक माह में 1000 केस आ चुके हैं. इसमें ज्यादातर जमीन और कोर्ट में लंबित मामलों का निस्तारण तो संभव नहीं हैं. लेकिन, जिनका मामला न्यायसंगत है और उसमें प्रशासनिक और पुलिस थानों की ओर से हीलाहवाली हो रही है उसके लिए नई व्यवस्था बनाई गई है.
जनसुनवाई के लिए आने वाले थाने और पुलिस से संबंधित मामलों में आख्या भी मंगाई जाती है. इसके अलावा पीड़ित से उसके मोबाइल पर जानकारी ली जाती है कि उसे न्याय मिला कि नहीं मिला. न्याय नहीं मिलने पर पुनः मंदिर आने पर कड़ी कार्रवाई का आश्वासन भी दिया जाता है. अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे खुद संज्ञान लिया है. ये निर्देश भी दिया है कि गलत रिपोर्टिंग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा जिलाधिकारी और एसएसपी के यहां से भी आख्या मंगाई जा रही है. संबंधित थाने और तहसील से गलत रिपोर्ट लगने पर पीडि़त से पुनः समस्या के निस्तारण के बारे में जानकारी ली जाती है. कुल मिलाकर पीड़ित जब तक पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हो जाता है, जनसुनवाई केन्द्र से उसके मसले के बारे में जानकारी ली जाती रहेगी.
ऐसे में अब चाहें थाना हो और फिर तहसील.वे अब किसी भी मामले में हीलाहवाली नहीं कर पाएंगे. इस सबके बावजूद भी अगर लापरवाही बरती जाती है, तो संबंधित अधिकारी, कर्मचारी, थाना-चौकी पर तैनात कर्मियों की एक मोबाइल नंबर घंटी बजाएगा. इस नंबर को सभी अधिकारियों को अपने मोबाइल में सेव करने के निर्देश दिए गए हैं. इस नंबर से किसी भी अधिकारी और कर्मचारी के पास कॉल जाने पर उसे तुरंत कॉल रिसीव करना होगा.
इसके साथ ही फरियादियों के मामले में उस कॉल को मुख्यमंत्री का आदेश समझकर त्वरित कार्रवाई और केस की यथास्थिति के बारे में अपडेट बताना होगा. इस नंबर को सार्वजनिक भी किया जाएगा. पब्लिक भी इस नंबर पर कॉल कर समस्या की यथास्थिति के बारे में भी जाना जा सकेगा. ऐसे में अधिकारियों और कर्मचारियों की भी नींद उड़ना स्वाभाविक है. क्योंकि, जब तक पीड़ित को न्याय नहीं मिलेगा, इस कॉल की घंटी बजती रहेगी.