गोरखपुरः टिक-टॉक के शौक ने ले ली जान, हाई डाइविंग का वीडियो बनवाने नदी में कूदा किशोर डूबा
किशोर को डूबता देख वीडियो बना रहे दोस्त चीखने-चिल्लाने लगे. इस पर आसपास के कुछ लोग नदी में उसे बचाने को कूदे. लेकिन, जब तक उसे बाहर निकाला कर अस्पताल ले जाया गया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
गोरखपुरः मोबाइल ऐप और स्टंट का शौक लोगों की किस तरह से जान ले रहा है इसका उदाहरण गोरखपुर में देखने का मिला है. यहां पर नदी के पानी में हाई डाइविंग के स्टंट को टिक-टॉक पर अपलोड करने के शौक में एक किशोर को अपनी जिंदगी गंवानी पड़ी. यानी टिक-टॉक ऐप पर स्टंट का दोस्तो से वीडियो बनवाने में उसकी जान चली गई. घटना के बाद से किशोर के घर में कोहराम मचा हुआ है. वहीं पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है.
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टिक-टॉक ऐप पर अपलोड करने के लिए लिए स्टंट वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर लाइमलाइट में आने की चाह में किशोर को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. नदीं में हाई डाइविंग का वीडियो बनवा रहा किशोर दूसरी छलांग में नदी से जिंदा नहीं निकला. टिक-टॉक शार्ट वीडियो बनाने और इसे सोशल मीडिया पर शेयर करने का एक ऐप है. वर्तमान में किशोरों और बच्चों में इसका जबरदस्त क्रेज है.
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गोरखपुर के खोराबार इलाके के प्यासी गांव के पूर्व कोटेदार मनोज चौधरी का बेटा अजय (बदला हुआ नाम) (15 वर्ष) कक्षा दस में पढ़ता रहा है. रविवार दोपहर में वो गांव के अपने दो दोस्तों के साथ पास के चंदाघाट के पीपा पुल पर चला गया. वहां पहुंचकर उसे टिक-टॉक के लिए वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल करने की सूझी. उसने दोस्तों से कहा कि वह पुल पर खड़े होकर मोबाइल से उसके डाइविंग स्टंट का वीडियो बनाएं. उसने पहली छलांग लगायी और कुछ देर बाद वापस निकला. स्टंट की दूसरी डाइव लगाने के बाद वह वापस नहीं निकला. नदी में गहरे पानी में चले जाने से वो डूबने लगा.
उसे डूबता देख वीडियो बना रहे दोस्त चीखने-चिल्लाने लगे. इस पर आसपास के कुछ लोग नदी में उसे बचाने को कूदे. लेकिन, जब तक उसे बाहर निकाला गया. अचेतावस्था में उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. घर में जब किशारे की मौत की सूचना पहुंची, तो वहां कोहराम मच गया. सारे गांव के लोग उसके घर पर जुट गए. हालांकि पुलिस इस हादसे पर अभी कुछ भी बोलने से बच रही है.
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इस घटना ने जहां बच्चों में बढ़ रहे मोबाइल के क्रेज के प्रति लोगों को आगाह किया है. तो वहीं अभिभावकों को ये भी देखना होगा, कि कहीं मोबाइल में आने वाले ऐप के फेर में बच्चे अपनी जिंदगी दांव पर तो नहीं लगा रहे हैं.