गोरखपुरः राजनीति क्‍या-क्‍या नहीं करवाती है. ये देखने को एक बार फिर मिला है. देश की निगाह जिस सीट पर टिकी हुई है, आज वही सीट प्रतिष्‍ठा का विषय बन गई है. कभी इस सीट पर सपा प्रत्‍याशी रहे पूर्व मंत्री स्‍व. जमुना निषाद ने साल 1999 में सीएम योगी को कांटे की टक्‍कर देकर निषाद वोट बैंक की ताकत का एहसास कराया था. उन्‍होंने ऐसी शख्सियत से प्रतिद्वंदिता ली थी, जो आज गोरक्षपीठ के महंत और प्रदेश के मुख्‍यमंत्री भी हैं. लेकिन, आज उसी गोरक्षपीठ की शरण में उनके बेटे मां के साथ मत्‍था टेकने पहुंचे.


समाजवादी पार्टी लोहिया वाहिनी के राष्‍ट्रीय सचिव रहे अमरेन्‍द्र निषाद ने चार दिन पहले सपा में उपेक्षा और कुछ नए ऐलान की बात पत्रकारों से की थी. पांच दिन पूर्व लखनऊ में भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष डा. महेन्‍द्र नाथ पाण्‍डेय के हाथों आशीर्वाद लेकर उन्‍होंने पिपराइच की पूर्व विधायक मां राजम‍ती निषाद के साथ भाजपा का दामन थाम लिया. इस सीट को वापस पाना सीएम योगी के लिए भी साख का प्रश्‍न बन गया है. क्‍योंकि उपचुनाव में ये सीट सपा के खाते में चली गई. निषाद वोट बैंक ने इस सीट पर बड़ा उलटफेर किया है.


भारत में यूं तो हर मौसम का खुमार लोगों के सिर चढ़कर बोलता है. लेकिन, चुनावी मौसम के खुमार में पिता-पुत्र, रिश्‍ते-नाते और कई बाजियां भी पलट जाती हैं. इस बार के लोकसभा चुनाव के पहले सपा में उपेक्षा का शिकार हुए अमरेन्‍द्र निषाद पिपराइच से विधायक रहीं मां राजमती निषाद के साथ चार दिन पहले भाजपा के हो गए. सपा का दामन छोड़कर भाजपा में आने के बाद वे सीधे गोरखनाथ मंदिर पहुंचे और यहां पर मत्‍था टेका.


सहयोगी दलों को साथ लेकर चली बीजेपी तो मोदी का फिर प्रधानमंत्री बनना तय- राजभर


करारी हार के डर से बौखलाए हैं बुआ-बबुआ, जनता मजबूर सरकार नहीं चाहती- श्रीकांत शर्मा


तीन दशकों से समाजवादी पार्टी का दामन थाम कर सत्ता के गलियारों तक पहुंचे गोरखपुर के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री स्वर्गीय जमुना प्रसाद के पुत्र अमरेंद्र निषाद और उनकी मां राजमती निषाद 7 मार्च को अपने पूरे समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल हुए थे. और आज 11 तारीख को सैकड़ों समर्थकों के साथ गोरखनाथ मंदिर में पहुंचकर बाबा गुरु गोरक्षनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना किए. वे ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ और ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की समाधि स्थल पर जाकर मत्था टेककर आशीर्वाद भी लिए.



गोरखपुर पहुंचे अमरेंद्र निषाद काफी उत्साहित दिखे और मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी छोड़ने का कारण ये है कि जिस उद्देश्य से मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी बनाई थी, वो समाजवादी पार्टी अपने उद्देश्य से भटक गई है. आज समाजवादी पार्टी में पुराने कार्यकर्ताओं की निरंतर उपेक्षा और शोषण हो रहा है. जिससे पुराने, कर्मठ समाजवादी कार्यकर्ता पार्टी से नाराज चल रहे हैं. इस कारण पार्टी गर्त में जा रही है. लोकसभा चुनाव में पार्टी हमें जो भी दायित्व सौंपेगी, उसे हम पूरी निष्ठा के साथ निर्वाह करेंगे.


लोकसभा चुनाव 2019: बीजेपी की साख दांव पर, सपा-बसपा का लिटमस टेस्ट


यूपी: बीजेपी चुनाव के लिये पूरी तरह तैयार, विपक्ष के लिए अस्तित्व बचाना मुश्किल हो जाएगा- केशव मौर्य


उन्होंने कहा कि भाजपा और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के लोक कल्याणकारी योजनाओं और समाज के सभी लोगों के साथ बिना भेदभाव किए उनके हितों के लिए किए जा रहे कार्यों को देखते हुए हमने भारतीय जनता पार्टी को ज्वाइन की है.


गोरखपुर में हुए लोकसभा के उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने संयुक्त रूप से निषाद पार्टी के प्रवीण निषाद को चुनाव मैदान में उतारा था. जिसमें, इनको सफलता भी मिली थी. प्रवीण निषाद के पिता डा. संजय निषाद ‘निषाद पार्टी’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. निषाद बिरादरी में उनकी काफी पकड़ मानी जाती है. इसी का काट निकालते हुए भाजपा ने चुनावी समीकरण को अपने पक्ष में करते हुए अमरेंद्र निषाद को अपनाया है.


जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव नहीं कराना मोदी सरकार की विफलता: मायावती


लोकसभा चुनाव 2019: जानिए यूपी की VIP सीटों पर किस तारीख को होगी वोटिंग