जज्बाः पुलवामा हमले में घायल हुआ गोरखपुर का लाल अवधेश, घरवालों से बातचीत में जाहिर नहीं होने दिया दर्द
गोरखपुर के गुलरिहा इलाके के आबादी सखनी गांव के रहने वाले सत्यनारायण के बेटे अवधेश कुमार साल 2011 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. जिस वक्त हमला हुआ उस समय वे भी काफिले की एक बस में सवार थे. उन्हें सिर और हाथ में गंभीर चोटें आईं हैं.
गोरखपुरः इसे देश के जवानों का जज्बा नहीं, तो और क्या कहें. पुलवामा हमले में गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी गोरखपुर के जवान अवधेश ने घरवालों से ये दर्द छुपा लिया. क्योंकि उसके लिए उसके लिए उन साथियों के परिवार का दर्द उससे कहीं ज्यादा बड़ा था, जिन्होंने इस हमले में अपनी जान गवां दी. घरवालों ने जब पुलवामा हमले के बाद उसका कुशलक्षेम पूछा, तो उसनके किसी को भी अपने घायल होने की बात जाहिर नहीं होने दी. टीवी पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह जब अस्पतालों में घायल जवानों का हालचाल लेने पहुंचे, तो टीवी देख रहे पिता और परिवार के अन्य लोगों को बेटे के भी घायल होने की जानकारी हुई.
14 फरवरी के दिन जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 42 जवान शहीद हो गए. इस हमले में कई जवान घायल भी हुए. इन जवानों को सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया. गोरखपुर के गुलरिहा इलाके के आबादी सखनी गांव के रहने वाले सत्यनारायण के बेटे अवधेश कुमार साल 2011 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. जिस वक्त हमला हुआ उस समय वे भी काफिले की एक बस में सवार थे. उन्हें सिर और हाथ में गंभीर चोटें आईं हैं. जब आतंकी हमले की जानकारी परिजनों को हुई, तो वे भी चिंतित हो गए. पिता सत्यनारायण उनके मोबाइल पर कॉल किया, तो उनसे बात हो गई. उसके बाद परिवार के लोग निश्चिंत हो गए.
हालांकि अवधेश ने देवरिया के विजय कुमार मौर्य के शहीद होने का जिक्र किया. लेकिन अपने घायल होने की बात नहीं बताई. शनिवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह सेना के अस्पताल में भर्ती जवानों से मिलने के लिए गए. उस समय घरवाले टीवी पर न्यूज चैनल देख रहे थे. उसी दौरा राजनाथ सिंह सेना के अस्पताल में भर्ती अवधेश से भी मिले. उसके बाद को अवधेश के भी हमले में घायल होने की जानकारी हुई. उसके बाद घरवालों ने उनसे हालचाल लिया. उन्होंने पिता से बातचीत में कहा कि उनका दर्द शहीद जवानों के परिवार के आगे कुछ भी नहीं है. वे लोग आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. जल्द ही उनका खात्मा कर कश्मीर में शांति का संदेश देंगे. मोबाइल पर बातचीत में उन्होंने पिता सत्यनारायण से अपील करते हुए कहा कि वे लोग उन्हें देखने के लिए न आए. परेशान न हों और वे जल्द ही स्वस्थ हो जाएंगे. सुरक्षा की दृष्टि से किसी को भी अस्पताल में आने की अनुमति नहीं है. उन्होंने बताया कि जिस बस को आतंकियों को निशाना बनाया, उस हमले बस के पीछे वाली बस में वे सवार रहे हैं. विस्फोट के बाद जो परखच्चे उड़े उससे वे घायल हो गए. अवधेश श्रीनगर के बारामूला में तैनात हैं. दिसंबर में घर आए थे.
अवधेश तीन भाईयों में दूसरे नंबर पर हैं. बड़े भाई अशोक कुमार हैं. छोटे अमित स्नातक कर रहे हैं. पिता सत्यनारायण बाल विकास परियोजना विभाग से रिटायर हैं. अवधेश की एक वर्ष की बेटी ज्योति है. ज्योति के 28 फरवरी को जन्मदिन पर उन्होंने आने का वायदा किया था. लेकिन, आतंकी हमले में घायल होने कारण वे अब बेटी के जन्मदिन में नहीं आ पाएंगे. सत्यनारायण ने कहा कि बेटे ने तो उनसे घायल होने की बात छुपा ही ली थी. वे न्यूज चैनल नहीं देखते, तो शायद उन्हें बेटे के घायल होने की जानकारी भी नहीं होती.