गोरखपुरः मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने सावन के पहले दिन गोरखनाथ मंदिर में रुद्राभिषेक किया. इसके पहले नियमित दिनचर्या के अनुसार उन्‍होंने मुख्‍य मंदिर समेत अन्‍य मंदिरों में पूजन-अर्चन के बाद मंदिर परिसर का भ्रमण किया. गोशाला में गायों को चारा खिलाया और उसके बाद जनता दरबार में फरियादियों की समस्‍याएं सुनने के बाद वे लखनऊ के लिए रवाना हो गए.


सावन माह के शुरू होने के अवसर पर गोरखपुर शहर के साथ ग्रामीण इलाकों में भी सुबह से ही लोगों की लम्‍बी कतारें मंदिरों में दर्शन के लिए लगी रहीं. गोरखनाथ मंदिर में भी बाबा गोरखनाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालु सुबह से ही लाइन लगाकर अपनी बारी आने की प्रतीक्षा करते रहे. मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुबह 5 बजे मुख्‍य मंदिर में पूजन किया. इसके बाद अन्‍य मंदिरों में भी पूजन-अर्चन के बाद वे गोशाला में गो-सेवा के लिए चले गए. इसके बाद उन्‍होंने जनता दरबार में फरियादियों की समस्‍याएं सुनीं.


गोरखनाथ मंदिर के साथ झारखंडी के शिव मंदिर पर भी भक्‍त भोर से ही अपनी बारी आने की प्रतीक्षा करते दिखे. इस दौरान लंबी कतार में लगे भक्‍त हर-हर महादेव के जयकारे लगाते रहे. इसके अलावा सूर्यकुंड, मानसरोवर मंदिर और खजनी के शिव मंदिर में भी दर्शन के लिए भक्‍तों की लम्‍बी कतार लगी रही. गोलघर के काली मंदिर, हट्ठी माता मंदिर में भी सुबह से ही श्रद्धालुओं जुटे रहे.


सावन माह का हिन्‍दू धर्म में विशेष महत्‍व है. शिवालयों में सावन के पावन अवसर पर भक्तों की लगने वाली भीड़ के मद्देनजर तैयारियां भी पूरी कर ली गई हैं. शिव को प्रसन्न करने के लिए भांग धतूरा खरीदा जा रहा है, तो कही सफेद फूल. बाजार में पूजा सामग्री की दुकानों पर भक्तों की भीड़ देखने को मिल रही है. हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक इस साल 2019 सावन में कई शुभ संयोग बन रहे हैं. सावन के पहले सोमवार को श्रावण कृष्ण पंचमी है. वहीं दूसरे सोमवार को त्रयोदशी प्रदोष व्रत के साथ ही सर्वार्थ सिद्धी योग भी है. तीसरे सावन में नागपंचमी का शुभयोग है, जो बहुत भाग्यशाली माना जाता है. अंतिम सोमवार को त्रयोदशी तिथि का शुभ संयोग है.


भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक सोमवार को व्रत रखने का प्रावधान है. ज्यादातर कुवारी कन्याएं अच्छा वर मिलने की उम्‍मीद में सोमवार का व्रत रखती हैं. अपने भोले स्वभाव के कारण भगवान शिव का एक नाम भोलेनाथ भी है. इसी कारण शिवजी से जुड़े व्रत के कोई कड़े नियम नहीं हैं. इस व्रत में तीन पहर का व्रत करने के बाद आप भोजन भी कर सकते हैं. शिव को सच्चे मन से ध्यान लगाकर प्रसन्न किया जा सकता है.


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