गोरखपुरः बिहार में चमकी बुखार ने अब तक 150 से अधिक बच्चों को अपने आगोश में लेकर मौत की नींद सुला दिया. चमकी बुखार की चपेट में आकर दम तोड़ने वाले बच्चों में एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) के लक्षण पाए जाने के बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बीमारी का गढ़ माने जाने वाले पूर्वी यूपी के गोरखपुर में बीआरडी मेडिकल कालेज में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. इसके साथ ही उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और चिकित्सकों को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि इंसेफेलाइटिस पीड़ित बच्चों के इलाज-दवा में किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर के दो दिवसीय दौरे के दूसरे दिन शनिवार को बीआरडी मेडिकल कालेज में गोरखपुर-बस्ती मंडल के अधिकारियों के साथ बैठक की. उन्होंने कहा कि बरसात का मौसम शुरू हो चुका है. धान की रोपाई का समय है. इस समय धान के पानी में पैदा होने वाले मच्छर के कारण जेई और दूषित पानी के कारण एईएस का खतरा बढ़ जाता है. हमें इंसेफेलाइटिस पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए तत्पर रहना होगा. सीएचसी और पीएचसी में भी इलाज और दवा समुचित मात्रा में उपलब्ध होनी चाहिए. गांव-गांव में जाकर दस्तक अभियान और अन्य नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करना होगा.
उन्होंने इस दौरान इंसेफेलाइटिस वार्ड का दौरा किया और पीड़ित बच्चों का हाल जानने के बाद तीमारदारों से बातचीत भी की. उन्होंने कहा कि वे किसी भी प्रकार की चिंता न करें. यहां पर अच्छे से अच्छा इलाज बच्चों को उपलब्ध कराया जाएगा. उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि मानसून आ गया है. इस बार भी पिछले वर्ष की तरह सजग होकर लोगों को जागरूक करना होगा. जिससे इंसेफेलाटिस जैसी बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक कर इस बीमारी को जड़ से समूल नाश किया जा सके. एक दिन पहले गोरखपुर विश्वविद्यालय में भी उन्होंने इंसेफेलाइटिस के मुद्दे पर लोगों को जागरूक किया था.
इसके पहले उन्होंने बुढ़िया माता मंदिर पहुंचकर वहां कसया पिचमार्ग से रजही मार्ग और ग्राम रजही वाया बुढ़िया माता मंदिर मार्ग पर इंटरलाकिंग कार्य का लोकार्पण किया. इसके अलावा गोरखपुर-कसया पिचमार्ग से ग्राम रजही का लोकार्पण किया. इस दौरान उन्होंने परिसर में स्थित तालाब में जल संरक्षण के अंतर्गत जलकुंभी की सफाई के लिए श्रमदान किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि ये पौराणिक स्थान है. आदि शक्ति मां दुर्गा बुढ़िया माई के रूप में यहां पर विद्यमान हैं. यहां के सुंदरीकरण की योजना राज्य सरकार ने ली थी जिसे आज सम्पन्न किया गया है. यहां पर पुराना पोखरा पूरी तरह से भट चुका था. उसके पुनरुद्धार की कार्रवाई की जा रही है. जल संरक्षण आज की आवश्यकता है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जल संचयन के लिए देश के ग्राम प्रधानों और राज्य सरकारों से अपील की है. हम सर्फेस वाटर का सदुपयोग कर सकें. इसके साथ ही सिंचाई के लिए अधिक से अधिक बढ़ावा दे सकें. बरसात के पानी के संचयन के लिए मनरेगा अधिक से अधिक तालाब खुदवाने और सूखा क्षेत्र बुंदेलखंड वगैरह में भी तालाब खुदवाने की व्यवस्था की है. जल संरक्षण आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है. प्रधानमंत्री आवास योजना में भी रेन वाटर को संचयन की व्यवस्था कर रहे हैं. जल ही जीवन है ये हमें समझना होगा. इसे हमें आंदोलन के रूप में लेना चाहिए.