साम्प्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसालः सावन में बाबाधाम रवाना हुआ हिन्दू-मुस्लिम तीर्थयात्रियों का जत्था
देवरिया जिले के एक गांव के मुस्लिम परिवारों ने साम्प्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश की है. इन मुस्लिम परिवारों के पुरुष और महिलाएं गांव के हिन्दू परिवारों के साथ तीर्थयात्री बनकर बोलबम के नारों के बीच बाबाधाम दर्शन करने के लिए रवाना हुए हैं.
देवरिया: हिन्दू धर्म में सावन मास का बहुत महत्व है. पूरे सावन मास को भगवान शिव की आराधना का माह माना गया है. हिन्दू धर्म में शिवभक्त सावन (श्रावण) मास में तीर्थ स्थलों पर जाते हैं. लेकिन, इस बार देवरिया जिले के एक गांव के मुस्लिम परिवारों ने साम्प्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश की है. इन मुस्लिम परिवारों के पुरुष और महिलाएं गांव के हिन्दू परिवारों के साथ तीर्थयात्री बनकर बोलबम के नारों के बीच बाबाधाम दर्शन करने के लिए रवाना हुए हैं.
ये श्रद्धालु पहले बस से बिहार के सुल्तानगंज पहुंचते हैं और वहां गंगा से पानी लेकर करीब 140 किलोमीटर दूर झारखण्ड के जसीडीह स्थित बाबा धाम मंदिर में पैदल जाकर जल चढ़ाते हैं.
देवरिया जिले के रामपुर कारखाना ब्लॉक का कुशहरी गांव हिन्दू-मुस्लिम एकता और गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल बन गया है. गांव के प्रधान निजाम अंसारी ने सावन मास में बाबा धाम जाने के लिए तीर्थयात्रियों की यात्रा का आयोजन किया है. वे गांव के 70 पुरुष एवं महिलाओं के जत्थे को लेकर बाबा धाम के लिए रवाना हुए हैं. इस तीर्थयात्रा में 25 परिवार हैं. जिसमें हिन्दुओं के साथ मुस्लिम पुरुष और महिलाएं भी हैं.
समाजसेवी डा. संजीव शुक्ला ने भगवा झंडी दिखाकर इस तीर्थयात्रा को रवाना किया है. इस अवसर पर ग्राम प्रधान निजाम अंसारी ने कहा कि वे हिन्दू-मुस्लिम एकता के साथ सामाजिक समरसता का संदेश देना चाहते रहे हैं. भगवान शिव में उनकी विशेष आस्था है. यही वजह है कि उनके साथ उनकी पत्नी और परिवार के अन्य पुरुष और महिलाएं भी तीर्थयात्री बनकर बाबा धाम के लिए रवाना हुए हैं.
इन तीर्थयात्रियों का जत्था 4 अगस्त को वापस देवरिया लौटेगा. इस अवसर पर समाजसेवी डा. संजीव शुक्ला ने कहा कि तीर्थयात्रियों के इस जत्थे को मुख्य अतिथि के तौर पर रवाना कर उन्हें काफी खुशी महसूस हो रही है. उन्होंने कहा कि निजाम अंसारी ने सामाजिक समरसता को जो संदेश देने का प्रयास किया है, वो एक अनूठी मिसाल पेश करेगा.
हमारा देश अनेकता में एकता के लिए जाना जाता है. यहां पर हिन्दू और मुसलमान भाई एक-दूसरे के साथ मिलकर सभी पर्व और त्योहार मनाते हैं. इस यात्रा से समाज में समरसता और भाईचारगी का संदेश जाएगा.