गोरखपुर: गुरु पूर्णिमा पर गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ शिष्यों को तिलक लगाकर देंगे आशीर्वाद
बता दें कि गोरक्षपीठ और नाथ सम्प्रदाय में गुरु पूर्णिमा और गुरु-शिष्य परम्परा का विशेष महत्व है. सदियों से ये परम्परा चली आ रही है. कालान्तर में बाबा मत्स्येन्द्र नाथ ने गुरु गोरखनाथ को दीक्षा दी थी. उसी प्रकार बाबा गंभीरनाथ के बाद से ये क्रम लगातार जारी है.
गोरखपुर: गुरु पूर्णिमा का दिन सदियों से चली आ रही गुरु और शिष्य की परम्परा का वाहक है. इस दिन जहां शिष्य अपने गुरुओं को नमन करते हैं और उन्हें गुरु दक्षिणा स्वरूप उपहार देते हैं. तो वहीं गुरु भी शिष्य को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामना और आशीर्वाद देकर कृतार्थ करते हैं. गोरक्षपीठ के लिए ये दिन खास है. क्योंकि नाथ सम्प्रदाय में गुरु पूर्णिमा और गुरु-शिष्य परम्परा का विशेष महत्व है. सदियों से इस पीठ में गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरु का नमन करते हैं, तो वहीं गुरु उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं. हर साल की तरह इस बार भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में शिष्यों, भक्तों और शुभचिंतकों को तिलक लगाकर उन्हें आशीर्वाद देंगे.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ मंगलवार को दोपहर 12.20 बजे गोरखपुर पहुंच रहे हैं. वे गोरखनाथ मंदिर पहुंचेंगे. यहां पर वे गुरु गोरखनाथ बाबा का पूजन-अर्चन और पितातुल्य गुरु ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ की समाधि पर जाकर उन्हें नमन कर आशीर्वाद लेंगे. गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ गुरु पूर्णिमा पर गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में मंदिर में आए अपने शिष्यों और भक्तों को ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में आशीर्वचन भी देंगे.
सुबह 5 बजे से ही गुरु पूर्णिमा का अनुष्ठान शुरू हो चुका है. मंदिर के मुख्य पुजारी बाबा कमल नाथ ने सुबह 5 बजे महायोगी गुरु गोरखनाथ का पूजन कर रोट का प्रसाद चढ़ाया. उसके बाद मंदिर के सभी देव विग्रहों की पूजा अर्चना की. सुबह 6.30 बजे से 7 बजे तक सामूहिक आरती का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ. इस कार्यक्रम में गोरखनाथ मंदिर के सभी पुजारी और मंदिर के निकट सहयोगी शामिल हुए. सुबह 10 बजे से 12 बजे तक स्मृति सभागार कार्यक्रम होंगे. उसके बाद 12.20 बजे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंदिर में आगमन के बाद गुरु-शिष्य परम्परा के तिलक और आशीर्वचन का कार्यक्रम सम्पन्न होगा. उसके बाद मंदिर परिसर में सहभोज आयोजित होगा.नाथ सम्प्रदाय में गुरु पूर्णिमा और गुरु-शिष्य परम्परा का है विशेष महत्व
गोरक्षपीठ और नाथ सम्प्रदाय में गुरु पूर्णिमा और गुरु-शिष्य परम्परा का विशेष महत्व है. सदियों से ये परम्परा चली आ रही है. कालान्तर में बाबा मत्स्येन्द्र नाथ ने गुरु गोरखनाथ को दीक्षा दी थी. उसी प्रकार बाबा गंभीरनाथ के बाद से ये क्रम लगातार जारी है. ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया. महंत दिग्विजयनाथ के ब्रह्मलीन होने के बाद महंत अवेद्यनाथ गोरक्षपीठाधीश्वर बनें. उसके बाद उन्होंने योगी आदित्यनाथ को अपना दत्तक पुत्र और शिष्य बनाकर उन्हें उत्तराधिकारी घोषित किया. महंत अवेद्यनाथ के ब्रह्मलीन होने के बाद योगी आदित्यनाथ गोरक्षपीठाधीश्वर बनें और उन्हें महंत की पदवी दी गई. उसके बाद से ही वे गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्यों और भक्तों को गुरु पूर्णिमा के दिन तिलक लगाकर उन्हें आशीर्वाद दे रहे हैं.
मुख्यमंत्री बनने के बाद भी गोरक्षपीठाधीश्वर के कर्तव्यों का कर रहे हैं निर्वहन
उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वे गोरक्षपीठाधीश्वर के कर्तव्यों को नहीं भूलें हैं. वे हर वर्ष गुरु पूर्णिमा के दिन गोरक्षपीठ में उपस्थित रहते हैं. इस दिन वे तिलक हाल में गुरु-शिष्य परम्परा का बखूबी पालन भी करते हैं. गुरु पूर्णिमा के दिन वे शिष्यों और भक्तों को तिलक लगाकर उन्हें उज्ज्वल भविष्य का आशीर्वाद देते हैं. गुरु पूर्णिमा पर गोरक्षपीठाधीश्वर से आशीर्वाद लेने वालों में मंदिर के संत, सेवक, भक्तों, शिष्यों और शुभचिंतकों के साथ सांसद और विधायक भी सम्मिलित होते हैं. इस बार भी गुरु पूर्णिमा के दिन वे सदियों से चली आ रही इस परम्परा का निर्वहन करेंगे.