गोरखपुर: हर इंसान किसी न किसी प्रतिभा का धनी होता है. बस ये हुनर लोगों के सामने नहीं आ पाता है. कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपने शौक के बूते मुकाम हासिल कर पुरस्कार भी जीत लेते हैं. ऐसी प्रतिभा के धनी हैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर के रहने वाले सतीश वैश्य. जो पेशे से तो व्यापारी है. लेकिन, इनके शौके के कारण लोग इन्‍हें मिस्‍टर उल्‍टा-पुल्‍टा कहकर बुलाते हैं. तीन भाषाओं हिन्‍दी, अंग्रेजी और संस्‍कृत में उल्‍टा लिखने का शौक रखने वाले सतीश का ये शौक ऐसा जुनून बन गया है कि अब इन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बायोग्राफी भी उल्टे अक्षरों में लिख दी है.


गोरखपुर के मिर्जापुर के रहने वाले सतीश वाटर प्यूरीफायर के बिजनेस से जुड़े हुए हैं. वे बताते हैं कि साल 2006 से ही उन्हें उल्टे अक्षरों में लिखने का शौक पैदा हुआ. वे बताते हैं कि उस समय उन्होंने देखा कि एंबुलेंस पर अक्षर उल्टे लिखे हुए हैं. जबकि वह मिरर में सीधे दिखाई देते हैं. उनके मन में भी कुछ अलग करने की इच्छा जाहिर हुई. इसके बाद से ही वे उल्टा लिखने की प्रैक्टिस करने लगे. सतीश बताते हैं कि उनका यह जुनून ऐसा शौक बन गया कि वे लगातार कई पुस्तकों और ग्रंथों को उल्टा लिख चुके हैं. इसमें राम चरित मानस, हनुमान चालीसा, दुर्गा चालीसा, काली चालीसा, सुंदर कांड के साथ प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की बायो‍ग्राफी लिख चुके हैं.


उनके पुरस्कारों की फेहरिस्त भी छोटी नहीं है. भारत से लेकर नेपाल तक उन्हें पुरस्कार मिले हैं. उनके घर पर रखी ट्रॉफी और प्रमाण पत्र उनकी प्रतिभा को दर्शाती है. सीएम योगी की बायोग्राफी के लिए इन्‍हें इंडियन मोस्‍ट राइजिंग अवार्ड और ब्रॉवो इंटरनेशनल बुक रिकार्ड में अपना नाम दर्ज कराने के साथ ही पड़ोसी देश नेपाल ने इन्‍हें एवरेस्‍ट वर्ल्‍ड रिकार्ड के पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया है. इसके अलावा भी इन्‍हें कई पुरस्‍कार और प्रमाणपत्र मिल चुके हैं. सतीश बताते हैं कि उनके भतीजे और भतीजी भी उनके शौक को देख कर आगे बढ़ रहे हैं और वे भी कुछ करना चाहते हैं.



सतीश के भतीजे शुभ और तनय बताते हैं कि चाचा को देखकर देवी उल्टा लिखने का प्रयास कर रहे हैं. वे भी उनकी तरह पूरे विश्व में नाम कमाना चाहते हैं. वहीं उनकी भतीजी प्रियांशी कहती हैं कि चाचा के अंदर ऐसी प्रतिभा है कि बचपन से ही उन लोगों के अंदर भी उल्टा लिखने का शौक जाग गया है. मेरी उल्टा लिखने की रोज प्रैक्टिस करती हैं और अब चाचा की तरह ही वह भी नाम कमाना चाहती हैं.


सतीश की भाभी है सुषमा और सिद्धेश्‍वरी कहती हैं कि शादी के बाद उन्हें पता चला कि उनके देवर सतीश वैश्य इतनी प्रतिभा के धनी हैं. उल्टा लिखने का जो उनका शौक है, उसके बूते वे कई पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं. उनको और परिवार के लोगों को उनकी प्रतिभा पर काफी गर्व है. सतीश के बचपन के दोस्त आशुतोष गुप्‍ता कहते हैं कि सतीश की प्रतिभा पर उन्हें काफी गर्व होता है. इस बात पर गर्व महसूस करते हैं कि सतीश उनके दोस्त हैं उनकी जितनी भी तारीफ की जाए वह कम है उनका कहना है कि वे काफी खुश हैं कि उन्हें इतनी प्रसिद्धि मिल रही है और उसके साथ ही वे पुरस्कार भी पा रहे हैं.


शौक कभी-कभी ऐसा जुनून बन जाता है कि वो इंसान को खुद ऐसी ऊंचाइयों पर पहुंचा देता है, जिसका उसे अंदाजा नहीं होता है. सतीश भी ऐसी ही शख्सियतों में शुमार हैं, जिन्‍होंने अपने शौक के बूते ये मुकाम हासिल किया है.