नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को गोरखपुर के बी.आर.डी. मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता मनीष भंडारी को जमानत दे दी. बी.आर.डी. मेडिकल कॉलेज में 2017 में ऑक्सीजन की कमी के चलते बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हो गई थी.


अदालत को बताया गया कि भंडारी सात महीनों से जेल में है, जिसके बाद प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम.खानविलकर व न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 406 के तहत दंडनीय अपराध के लिए अधिकतम सजा तीन साल है और भंडारी पहले ही बीते सात महीनों से जेल में है.


भंडारी को जमानत पर रिहा किए जाने का निर्देश देते हुए पीठ ने उल्लेख किया कि उसके खिलाफ एक आरोप-पत्र दाखिल किया गया है. वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी भंडारी की तरफ से पेश हुए. उत्तर प्रदेश की तरफ से पेश वकील एश्वर्य भाटी ने जमानत याचिका का विरोध किया.


भाटी ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 406 के तहत आरोप-पत्र दाखिल किया गया है. उन्होंने कहा कि भंडारी बिना लाइसेंस के ऑक्सीजन आपूर्ति का कारोबार कर रहा था. उन्होंने कहा कि अस्पताल के लिए ऑक्सीजन को औषधि अधिनियम के तहत रखा गया है और सिर्फ लाइसेंसधारी ही इसका कारोबार कर सकता है. भंडारी के पास लाइसेंस नहीं था.


भंडारी पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आपराधिक साजिश व आपराधिक विश्वासघात का मामला दर्ज किया गया था. भंडारी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय से जमानत याचिका खारिज होने के बाद सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. राज्य सरकार द्वारा संचालित बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कथित तौर पर तरल ऑक्सीजन की कमी के कारण 10 व 11 अगस्त, 2017 को करीब 30 बच्चों की मौत हो गई थी.