गोरखपुर: नेपाल से सटा होने के कारण गोरखपुर टेरर फंडिंग का ट्रांजिट प्वाइंट बन गया. आतंकियों से इंटरनेट कॉल के जरिए संपर्क में रहने वाले गोरखपुर से पकड़े गए 6 आरोपियों ने सैकड़ों खाते खुलवाकर करोड़ों रुपए की टेरर फंडिंग का काम किया है. वहीं पूरे देश में 1500 से अधिक बैंक खातों की संदेह के आधार पर जांच की जा रही है. इसमें जनधन और छात्रवृत्ति से जुड़े ज्यादातर खाते होने का एटीएस को शक है.
एटीएस सूत्रों के मुताबिक पकड़े गए सभी दस आरोपियों ने एक-दो नहीं, बल्कि सैकड़ों फर्जी बैंक अकांउट के जरिए करोड़ों की टेरर फंडिंग की है. गोरखपुर सहित प्रदेश भर में 24 मार्च को हुई ताबड़तोड़ गिरफ्तारियों के बाद कई लोग सुरक्षा एजेंसियों की जांच के दायरे में आ गए हैं.
करीब 1500 से अधिक बैंक खातों की जांच कराई जा रही है. इस बात की भी पड़ताल की जा रही है कि लगातार जनधन खातों और बचत खातों में हो रहे इन ट्रांजेक्शन पर बैंकों ने कभी कोई कदम क्यूं नहीं उठाए.
एटीएस इस बात का भी पता लगाने में जुटी है कि लगातार लोगों के पास बढ़ रहे धन और प्रापर्टी के खिलाफ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कभी कोई एक्शन क्यूं नहीं लिया. इन पर किसी तरह की कार्रवाई तो दूर आईटी की ओर से कभी ऐसे लोगों की जांच तक नहीं कराई गई.
टेरर फंडिंग के मामले में गिरफ्तार आरोपियों में कुछ का एटीएस नारको टेस्ट करा सकती है. आरोपियों के खिलाफ सबूत मिलने के बाद ही उनकी गिरफ्तारियां की गई हैं. गोरखपुर के मोबाइल कारोबारी नसीम व अरशद उर्फ बॉबी, मध्यप्रदेश के रीवा का रहने वाला उमा प्रताप सिंह और कुशीनगर पडरौना के मुशर्रफ अंसारी उर्फ निखिल राय का एटीएस नारको टेस्ट भी करा सकती है.
एटीएस आरोपियों के पास से मिले बैंक खातों के जरिए अब तक 200 से अधिक बैंक खातों की डिटेल हासिल कर चुकी है. बैंकों व आईटी के जरिए एटीएस ने इन सभी बैंक अकाउंट्स की स्कैनिंग शुरू कर दी है.
टेरर फंडिंग के मामले में यूपी एटीएस ने 24 मार्च को गोरखपुर सहित पांच राज्यों से दस लोगों को गिरफ्तार किया था. इनमें गोरखपुर के दो बड़े मोबाइल कारोबारियों सहित छह आरोपियों की गिरफ्तारी एटीएस ने गोरखपुर से ही की थी. सभी को एटीएस ने कोर्ट में पेश करने के बाद पांच दिनों की ट्रांजिट रिमांड पर लेकर पूछताछ भी की थी.