गोरखपुर: जमीनी विवाद में खूनी संघर्ष, पति-पत्नी समेत तीन की हत्या
गोरखपुर में हुए इस तिहरे हत्याकांड से सनसनी फैल गई. खूनी संघर्ष में पति-पत्नी समेत तीन लोगों की बांकी से काटकर हत्या कर दी गई. पुलिस ने इस मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया.
गोरखपुरः यूपी में बढ़ते अपराध ने पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर में तिहरे हत्याकांड से सनसनी फैल गई. शुक्रवार की शाम जमीनी रंजिश में गांव के दो पक्षों में संघर्ष हो गया. खूनी संघर्ष में पति-पत्नी समेत तीन लोगों की बांकी से काटकर हत्या कर दी गई. पुलिस ने इस घटना में दोनों पक्षों के 10 लोगों को गिरफ्तार किया.
गोरखपुर के खजनी इलाके के परसापार गांव के कुंवरजोत टोला में शुक्रवार की शाम 5 बजे दुर्गा सिंह (68 वर्ष) और राममनोहर यादव उर्फ मुंशी यादव (58 वर्ष) के परिवार के बीच जमीनी विवाद में संघर्ष हो गया. दोनों पक्षों की ओर से धारदार हथियार निकल गए. राममनोहर के पक्ष की ओर से बांकी लेकर आए दबंगों ने दुर्गा सिंह और उनकी पत्नी कलावती (65 वर्ष) पर धारदार हथियार से हमला कर दिया. दोनों की मौके पर ही मौत हो गई. वहीं दूसरे पक्ष के राममनोहर उर्फ मुंशी यादव भी हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए.
रामनोहर को इलाज के लिए जिला चिकित्सालय लाया गया. जहां पर डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. घटना की सूचना मिलने के बाद एसएसपी डा. सुनील गुप्ता के साथ अन्य आलाधिकारी और फोर्स भी मौके पर पहुंच गई. गांव में एहतियात के लिए पीएसी तैनात कर दी गई है. एसएसपी डा. सुनील गुप्ता ने बताया कि ये जमीनी विवाद है. दुर्गा सिंह के चार भाई हैं. बड़े भाई ने अपनी जमीन मुंशी यादव को बेच दी. जमीन के साथ घर का भी विवाद सामने आया है.
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मुंशी यादव के बड़े भाई ने भी बयाना ले लिया था. इसी मामले को लेकर विवाद में एक पक्ष के दुर्गा सिंह और उनकी पत्नी कलावती की हत्या कर दी गई. दूसरे पक्ष के मुंशी यादव को भी गंभीर चोटें आईं, उनकी भी अस्पताल ले जाते समय मौत हो गई. उन्होंने बताया कि ये एक गांव का विवाद है. पुलिस ने इस घटना में अभी तक दोनों पक्षों के 10 लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस निष्पक्ष तरीके से मामले की तहकीकात कर रही है. इस घटना में पूरी तरह से इंसाफ किया जाएगा.
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वहीं मृतक मुंशी यादव की पत्नी प्रभावती देवी ने बताया कि जमीन और मकान के विवाद में घटना हो गई. उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि वहां पर क्या हुआ था. उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है. घटना के बाद से वे खुद ये नहीं समझ पा रही हैं कि वे कहां जाएं. पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने इस मामले को पहले ही गंभीरता से लिया होता, तो जमीनी विवाद खूनी संघर्ष में नहीं बदला होता. क्योंकि ये प्रकरण पहले तहसील दिवस में भी आया था. लेकिन, अधिकारियों की लापरवाही के कारण मामूली जमीनी विवाद खूनी संघर्ष में बदल गया.
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