गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में बाबा राघव दास मेडिकल कालेज में बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. कल आठ और मासूमों की मौत हो गई. बच्चे मेडिकल कालेज के इन्सेफेलाइटिस वार्ड में भर्ती थे. वहीं, इस वार्ड में भर्ती के 15 ताजा मामले भी सामने आए हैं.


मेडिकल कॉलेज में 10 से 12 अगस्त के बीच 48 घंटे में 36 बच्चों की मौत पर पूरे देश में काफी बवाल हुआ था. प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह पूर्व में कह चुके हैं कि मेडिकल कालेज के पीडियाट्रिक विभाग से मिली रिपोर्ट के मुताबिक सात अगस्त से 11 अगस्त के बीच 60 बच्चों की मौत विभिन्न बीमारियों से हुई है. वह यह भी स्पष्ट कर चुके हैं कि ये मौतें आक्सीजन की कमी से नहीं हुई.


डीएम की रिपोर्ट में दो डॉक्टर जिम्मेदार


इस मामले में डीएम की जांच रिपोर्ट में दो डॉक्टरों को जिम्मेदार करार दिया गया है. ये रिपोर्ट डीएम राजीव रौतेला ने तैयार की है. रिपोर्ट में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी को भी दोषी बनाया गया है. इस रिपोर्ट में भ्रष्टाचार की आशंका भी जताई गई है और बड़ी जांच का प्रस्ताव रखा है. हांलाकि अभी सचिव स्तर की एक और रिपोर्ट आनी बाकी है.


क्या है पूरा मामला?


दरअसल गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में 10 अगस्त की शाम ऑक्सीजन सप्लाई का रुक गई थी. जिसकी वजह से 36 बच्चों की मौत हो गई थी. बताया गया कि जब अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई रुकी थी और बच्चों की जान सिर्फ एक पंप के सहारे टिकी हुई थी. तब से अबतक इसी अस्पताल में करीब 70 बच्चों की मौत हो चुकी है.


क्यों हुआ था ये हादसा?


अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी का 66 लाख रुपए से ज्यादा बकाया था. इस मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन सप्लाई का जिम्मा लखनऊ की निजी कंपनी पुष्पा सेल्स का है. तय अनुबंध के मुताबिक मेडिकल कॉलेज को दस लाख रुपए तक के उधार पर ही ऑक्सीजन मिल सकती थी. एक अगस्त को ही कंपनी ने गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज चिट्ठी लिखकर ये तक कह दिया था, कि अब तो हमें भी ऑक्सीजन मिलना बंद होने वाली है.