गोरखपुर: आज के आधुनिक युग में अभिभावक अपने बच्चों का प्रवेश अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में ही कराना चाहते हैं. जिससे उनका भविष्य उज्ज्वल बन सके. लेकिन, गोरक्षपीठ के गुरुकुल में आज भी गुरु-शिष्य परम्परा की झलक दिखाई देती है. यहां कड़े अनुशासन के साथ सभी विषयों की पढ़ाई भी संस्कृत भाषा के माध्यम से करनी होती है. इसके बावजूद यहां प्रवेश लेने की होड़ लगी रहती है. मुख्यमंत्री बनने के पहले तक गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ स्वयं प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों का अंतिम साक्षात्कार लेते रहे हैं.
गोरखनाथ मंदिर प्रांगण में ही गुरु गोरक्षनाथ संस्कृत विद्यापीठ है. ये विद्यालय सम्पूर्णानन्द संस्कृत विद्यालय से संबद्ध है. यहां पर पूर्व मध्यमा प्रथम से उत्तर मध्यमा द्वितीय तक 250 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते हैं. शास्त्री प्रथम वर्ष में 1000 छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं. यहां पर 300 छात्रों को छात्रावास में रहने की व्यवस्था पूरी तरह निःशुल्क है. इसके साथ ही यहां पर जिन विद्यार्थियों को प्रवेश मिलता है उनकी शिक्षा और भोजन की व्यवस्था भी पूरी तरह निःशुल्क है. वैदिक काल की तरह ही यहां पर गुरुकुल पद्धति से संस्कृत की शिक्षा दी जाती है.
इस विद्यालय को 10 विषयों की मान्यता मिली है. यहां पर पूर्व मध्यमा से आचार्य पर्यन्त तक पढाई होती है. यहां शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र 9 वर्ष में आचार्य बनते हैं. आसपास के जिलों के अलावा बिहार और नेपाल के छात्र भी यहां पर संस्कृत भाषा में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं. मुख्यमंत्री बनने के पूर्व तक गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ स्वयं यहां पर प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों का अंतिम साक्षात्कार लेते रहे हैं. एक तरफ जहां अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में प्रवेश के लिए होड़ लगी हुई है. वहीं इस गुरुकुल में भी प्रवेश के लिए बच्चों की लम्बी कतार लगती है.
प्रवेश और उसके पूर्व परीक्षाओं के दौरे से गुजरने के पहले उन्हें जून माह से एक महीने तक यहां पर कड़े अनुशासन के बीच रहना पड़ता है. इस दौरान दो से तीन लिखित परीक्षाओं के दौर से गुजरना होता है. अंतिम साक्षात्कार के बाद उन्हें गुरुकुल में प्रवेश मिलता है. गुरुकुल में संस्कृत में बात करने के अलावा शिक्षा का माध्यम भी संस्कृत ही है. गुरुकुल पद्धति को जीवित रखने और संस्कृत माध्यम से अध्ययन-अध्यापन को देखते हुए 1949 में तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने गुरुकुल/विद्यापीठ का निर्माण प्रांगण के अंदर किया था. ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के समय में दिन-प्रतिदिन ये गुरुकुल उन्नति करता गया.
गुरु गोरखनाथ संस्कृत विद्यापीठ आवासीय विद्यालय है. जो गुरुकुल पद्धति पर संचालित है. संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों को परीक्षाओं के दौर से गुजरना होता है. यहां पर एक माह तक परीक्षाओं की तैयारी कराई जाती है. जो परीक्षा पास करते हैं उन्हीं को प्रवेश मिलता है. विद्यार्थियों को दो-तीन परीक्षाओं के दौर गुजरना होता है. गुरु गोरखनाथ संस्कृत विद्यापीठ को सम्पूर्णानन्द संस्कृत विद्यालय की सबसे अच्छा विद्यालय माना जाता है. यहां से आचार्य बनकर निकलने वाले विद्यार्थी देश और दुनिया में भारत की संस्कृति और प्राचीन मूल्यों और आदर्शों की स्थापना करने में पारंगत दिखते हैं.
वे जीवन में सफलतापूर्वक भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक व्यवस्था का संचालन करते हुए दिखाई देते हैं. यहां शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास होता है. गुरुकुल पद्धति में संस्कृत के साथ गणित, अंग्रेजी और सामाजिक विषय की पढ़ाई संस्कृत के माध्यम होती है. प्राचीन वैदिक परम्परा वेद, शास्त्र, भारतीय दर्शन, उपनिषदों के अध्ययन के साथ सभी विषयों में पारंगत कर आचार्य यानी परास्नातक की डिग्री प्रदान की जाती है.
आज के इस आपाधापी के युग में व्यक्ति भौतिकता के पीछे भाग रहा है. उस दौर में भारतीय संस्कृति की आधार संस्कृत भाषा के माध्यम से सभी विषयों का ज्ञान संस्कृतनिष्ठ व्यवस्था को अंगीकार करना एक चुनौती से कम नहीं है. पूरी निष्ठा से संस्कृत को पढ़ने वाले विद्यार्थियों पर बाबा गोरखनाथ की विशेष कृपा रहती है. इस गुरुकुल से पढ़ने वाले विद्यार्थी अच्छे-अच्छे पदों को सुशोभित कर रहे हैं.
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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
गुरु पूर्णिमाः गोरक्षपीठ में दिखती है गुरु-शिष्य परम्परा की झलक, योगी खुद लेते रहे हैं विद्यार्थियों का साक्षात्कार
नीरज श्रीवास्तव
Updated at:
27 Jul 2018 09:58 AM (IST)
आज के आधुनिक युग में अभिभावक अपने बच्चों का प्रवेश अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में ही कराना चाहते हैं. जिससे उनका भविष्य उज्ज्वल बन सके. लेकिन, गोरक्षपीठ के गुरुकुल में आज भी गुरु-शिष्य परम्परा की झलक दिखाई देती है.
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