एक्सप्लोरर

जानिए, आखिर क्यों बिहार के लोग दशकों से पलायन को हैं मजबूर?

गुजरात के साबरकांठा में नाबालिग से रेप की घटना के बाद बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों को स्थानीय संगठनों ने निशाना बनाया. जिसके बाद से करीब 20 हजार लोग पलायन कर चुके हैं. पलायन करने वाले लोगों में ज्यादातर मजदूर हैं जिनके सामने अब रोजी-रोटी का संकट है.

नई दिल्ली: हीरा तराशने वाले राजू और अयोध्या सिंह को अगले महीने से तनख़्वाह नहीं मिलेगी. दोनों बिहार में काम नहीं मिलने की वजह से कुछ साल पहले गुजरात के सूरत गए थे. आज 'राजनीतिक धमकी और हिंसा' ने दोनों की नौकरी छीन ली. वे बदहवास होकर कैमूर जिले के मोहनिया अपने घर लौट चुके हैं. राजू को फिक्र है कि वह अब वह कैसे विधवा मां और दुनिया देख पाने में असक्षम भाई का पेट भरेगा.

अयोध्या सिंह के सामने भी कुछ ऐसी ही समस्या है. मां, पिता, पत्नी, बच्चे और छोटे भाई मिलाकर कुल 12 सदस्यों का परिवार है. सवाल है कि काम के बगैर अब आगे की जिंदगी कैसे कटेगी? राजू और अयोध्या जैसे करीब 20 हजार लोगों के परिवारों के लिए भी यही चिंता है.

जानिए, आखिर क्यों बिहार के लोग दशकों से पलायन को हैं मजबूर?

दरअसल, पिछले एक सप्ताह में गुजरात से ट्रेनें भर-भर कर आ रही है. लोग डर से पलायन कर रहे हैं. इनमें से कुछ को काट देने की धमकी मिली तो कुछ को पीटा गया. आज ये लोग बिहार लौटने के बाद सुरक्षित महसूस तो कर रहे हैं लेकिन आर्थिक असुरक्षा उन्हें डरा रही है. उनके मन में एक ही सवाल है कि गुजरात में कब हालात बदलेंगे, ताकि वे एक बार फिर गांव को छोड़कर वापस दो वक्त की रोटी के जुगाड़ में गुजरात लौट जाएं. गुजरात से जैसे-तैसे लौटकर आए लोगों का कहना है कि उन्हें अब वापस लौटने में डर तो है लेकिन चारा क्या है? बिहार में कोई काम-धंधा है नहीं फिर कैसे गुजारा होगा?

इन्हीं सवालों पर बिहार के जानेमाने अर्थशास्त्री डॉ शैवाल गुप्ता कहते हैं, ''बिहार में रोजगार के अवसर कम हैं. यहां के मुकाबले दूसरे राज्यों महाराष्ट्र, दिल्ली-एनसीआर, गुजरात में अवसर अधिक हैं. इन राज्यों में इंडस्ट्री है. रियल स्टेट सेक्टर ने काफी तेजी से तरक्की की है. यही वजह है कि लोग वहां जाकर काम करते हैं. उन्हें जल्दी काम भी मिल जाता है. क्योंकि ये लोग काफी इनवॉल्व होकर काम करते हैं.''

प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा के लिए उठाए कदमों की जानकारी दे गुजरात सरकार: हाई कोर्ट

वे आगे कहते हैं, ''गुजरात में जो घटना हुई है. उसमें एक व्यक्ति के मामले को तूल दे दिया गया. ऐसा पहले भी हुआ है. जब किसी एक ने कोई अपराध किया और पूरे बिहार के कौम को निशाना बनाया गया. ये लोग भाषा, संस्कृति, रहन-सहन की वजह से जल्दी पहचान में आ जाते हैं इसलिए और ज्यादा दिक्कत होती है.'' शैवाल ने उम्मीद जताई की जल्द ही गुजरात में हालात बदलेंगे.

जानिए, आखिर क्यों बिहार के लोग दशकों से पलायन को हैं मजबूर?

बिहार में उद्योग-धंधों की कम रफ्तार पर पर शैवाल कहते हैं कि आईटी इंटरप्रनोयरशिप की कमी रही है. उन्होंने दिलचस्पी नहीं ली है. आईटी सेक्टर में काफी लोग बिहार के हैं. उन्हें अपने राज्य के लिए काम करना चाहिए. इन्हें बढ़ावा देने के लिए सरकारों को कोशिश करनी चाहिए. जिससे बिहार में भी अवसर बढ़ेंगे.

बिहार में रोजगार के अवसर नहीं होने और चौपट उद्योग-धंधों के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के प्रोफेसर मोहम्मद सज्जाद पूंजीवादी शक्ति और सरकार को जिम्मेदार मानते हैं.

जानिए, गुजरात ही नहीं महाराष्ट्र, असम में क्यों बिहारी हिंसा की ज़द में होते हैं?

इतिहास के प्रोफेसर सज्जाद 1973 में सच्चिदानंद सिन्हा की आई किताब 'द इंटरनल कॉलोनी (आंतरिक उपनिवेश)' का जिक्र करते हुए कहते हैं, ''भारत की पूंजीवादी शक्तियों ने बिहार को आंतरिक उपनिवेश बनाकर रखा. उन्होंने बिहार को बैकवर्ड रखो इस सिद्धांत पर काम किया ताकि यहां से उन्हें सस्ता मजदूर मिलता रहे. हम राजनीतिक दलों को दोष दे सकते हैं. लेकिन भारत की पूंजीवादी शक्तियों ने शुरुआती दौर से बिहार का शोषण जारी रखा है. बिहार, बंगाल और उत्तर प्रदेश को लेबर सप्लाइ का सोर्स समझा गया.''

'मुस्लिम पॉलिटिक्स इन बिहार' किताब के लेखक सज्जाद बिहार से पलायन होने के मुद्दे पर कहते हैं कि आज भी उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है. सरकारों को जिस तेजी से काम करना चाहिए उन्होंने नहीं किया.

वे कहते हैं, ''पलायन लंबी समस्या रही है. इसे तुरंत नहीं सुलझाया जा सकता है. इस प्रकार की घटना (गुजरात में गैर-गुजरातियों पर हमले) से भारत सबक ले. क्षेत्रिय असमानता आज काफी है. नेहरूवियन विजन ऑफ डेवलपमेंट में बैलेंस डिविजनल डेवलपमेंट एक बड़ा कंसर्न था. वो ज्यादा दिन तक तो नहीं रहे. लेकिन उसके बाद जो लोग सत्ता में आए उन्होंने इस क्षेत्र में ज्यादा काम नहीं किया.''

जानिए, आखिर क्यों बिहार के लोग दशकों से पलायन को हैं मजबूर?

प्रोफेसर सज्जाद कहते हैं, ''बैलेंस डिविजनल डेवपलेंट को आज की राजनीति का प्रमुख एजेंडा बनाने की जरूरत है. राजनीति ही है जो किसी राज्य को पिछड़ा रख रही है. लेकिन समझाया जाता है कि आप नेचर (प्रकृति) की वजह से बैकर्वड हैं. अंग्रजों ने भी यही किया. अंग्रेज जब शोषण कर रहे थे. तो लोग समझ रहे थे की प्रकृति की आपदा है. फिर उस समय के लोगों ने आम लोगों को समझाया कि आपका शोषण किया जा रहा है. धन का प्रवाह कहीं और किया जा रहा है. लोगों ने समझा.''

गुजरात: राजनीतिक बयानबाजी के बीच उत्तर भारतीयों का पलायन जारी, फैक्ट्री वाले इलाकों में पुलिस की गश्त बढ़ी

''आज की जनता को बताने की जरूरत है कि बिहारी पिछड़ा है वो भारत और बिहार की राजनीति की वजह से. हर एक क्षेत्र जिसे बैकवर्ड रखा गया. वहां सरकार को निवेश करना चाहिए. पनबिजली पैदा करने, उद्योग लगाने, बाढ़ नियंत्रण के लिए निवेश किये जाने की जरूरत है. बिहार की पार्टियां केंद्र से पैकेज मांगे.''

गुजरात में गैर-गुजरातियों खासकर हिंदी पट्टी वालों पर हुए हमले के पीछे सज्जाद दो कारण बताते हैं. 1- गुजरात के अंदर भी आर्थिक समस्या बढ़ी है. बेरोजगारी बढ़ी है. उन्हें लगा कि हिंदी भाषी को भगाएंगे तो रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और हमें रोजगार मिलेगा.

2- पिछले कुछ वर्षों में भीड़तंत्र तेजी से बढ़ा है. इसे समय पर नहीं रोका गया. ये मनोवृति बढ़ी, यही वजह है कि आज क्षेत्रीय लोग एक अलग पहचान के लोगों पर हमला कर रहे हैं. धार्मिक, भाषायी, सांस्कृतिक, क्षेत्रीय पहचान के आधार पर नफरत फैलेगा. कानून को काम नहीं करने दिया जाएगा तो नफरत बढ़ेगी. इसपर लगाम जरूरी है.

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

लेबनान में PM और राष्ट्रपति 'कागजी शेर,' असली ताकत कैसे रहती है हिजबुल्लाह के पास? समझिए
लेबनान में PM और राष्ट्रपति 'कागजी शेर,' असली ताकत कैसे रहती है हिजबुल्लाह के पास? समझिए
बिहार में NIA का बड़ा एक्शन, JDU विधान परिषद की पूर्व सदस्य मनोरमा देवी के आवास पर छापे
बिहार में NIA का बड़ा एक्शन, JDU विधान परिषद की पूर्व सदस्य मनोरमा देवी के आवास पर छापे
Salman Khan Airport: हैवी सिक्योरिटी के साथ एयरपोर्ट पर स्पॉट हुए सलमान खान, दिखा स्टाइलिश अवतार
हैवी सिक्योरिटी के साथ एयरपोर्ट पर स्पॉट हुए सलमान खान, दिखा स्टाइलिश अवतार
119 साल पहले किया डेब्यू, 29 साल खेला क्रिकेट और जड़ दिए 199 शतक; इस दिग्गज के आस-पास भी नहीं सचिन-विराट
119 साल पहले किया डेब्यू, 29 साल खेला क्रिकेट और जड़ दिए 199 शतक
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

ABP News: दिल्ली टू मुंबई...गणपति की शानदार विदाईArvind Kejriwal News: सीएम पद छोड़ने के बाद केजरीवाल के लिए बंद हो जाएंगी ये सुविधाएं! | ABP NewsBharat Ki Baat Full Episode: 10 साल का सूखा खत्म हो पाएगा...7 वादों से चुनाव पलट जाएगा? | ABP NewsSandeep Chaudhary: One Nation One Election को लेकर क्या बोले विशेषज्ञ ? | ABP News | NDA | Congress

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
लेबनान में PM और राष्ट्रपति 'कागजी शेर,' असली ताकत कैसे रहती है हिजबुल्लाह के पास? समझिए
लेबनान में PM और राष्ट्रपति 'कागजी शेर,' असली ताकत कैसे रहती है हिजबुल्लाह के पास? समझिए
बिहार में NIA का बड़ा एक्शन, JDU विधान परिषद की पूर्व सदस्य मनोरमा देवी के आवास पर छापे
बिहार में NIA का बड़ा एक्शन, JDU विधान परिषद की पूर्व सदस्य मनोरमा देवी के आवास पर छापे
Salman Khan Airport: हैवी सिक्योरिटी के साथ एयरपोर्ट पर स्पॉट हुए सलमान खान, दिखा स्टाइलिश अवतार
हैवी सिक्योरिटी के साथ एयरपोर्ट पर स्पॉट हुए सलमान खान, दिखा स्टाइलिश अवतार
119 साल पहले किया डेब्यू, 29 साल खेला क्रिकेट और जड़ दिए 199 शतक; इस दिग्गज के आस-पास भी नहीं सचिन-विराट
119 साल पहले किया डेब्यू, 29 साल खेला क्रिकेट और जड़ दिए 199 शतक
Video: जब मौत से हुआ सीधा सामना, गलती से भालू की मांद में घुस गया शख्स, देखें दिल दहला देने वाला वीडियो
जब मौत से हुआ सीधा सामना, गलती से भालू की मांद में घुस गया शख्स, देखें दिल दहला देने वाला वीडियो
इंजीनियर को हिंदी में क्या कहते हैं? जान लीजिए जवाब
इंजीनियर को हिंदी में क्या कहते हैं? जान लीजिए जवाब
तेंदुए ने मार दी है आपकी गाय या बकरी तो ऐसे मिलेगा मुआवजा, जान लीजिए तरीका
तेंदुए ने मार दी है आपकी गाय या बकरी तो ऐसे मिलेगा मुआवजा, जान लीजिए तरीका
Edible Oil Rate: त्योहारों में ना बढ़ें खाने के तेल के दाम, सरकार ने कर दिया इसका इंतजाम
त्योहारों में ना बढ़ें खाने के तेल के दाम, सरकार ने कर दिया इसका इंतजाम
Embed widget