इंदौर: मध्यप्रदेश की कृषि उपज मंडियों में हम्मालों ने हड़ताल शुरू कर दी है. उनकी मांग है राज्य कृषि विपणन बोर्ड के करीब डेढ़ साल पुराने आदेश का पालन सुनिश्चित कराया जाये जिसमें कहा गया था कि अंतरराष्ट्रीय आदर्श श्रम मानकों के मुताबिक हम्मालों से 50 किलोग्राम से ज्यादा वजनी बोरा नहीं उठवाया जाये. मध्यप्रदेश हम्माल तुलावटी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक राजू प्रजापति ने मंगलवार को बताया, राज्य सरकार के कई आश्वासनों के बावजूद हमारी यह मांग अब तक पूरी नहीं हो पा रही है. इसके विरोध में हमने पिछले तीन दिनों के दौरान इंदौर, देवास, अशोकनगर, शुजालपुर, आगर, नलखेड़ा और विदिशा समेत करीब 10 कृषि उपज मंडियों में हड़ताल शुरू कर दी है.


उन्होंने बताया कि इंदौर की तीन मंडियों में हम्माल बेमियादी हड़ताल पर हैं जबकि अन्य मंडियों में क्रमिक हड़ताल जारी है. सूबे में करीब 270 कृषि उपज मंडियां हैं. राज्य कृषि विपणन बोर्ड ने छह मई 2017 को सभी मंडी समितियों को जारी आदेश में कहा था, अंतरराष्ट्रीय आदर्श श्रम मानकों में किसी सक्षम वयस्क व्यक्ति द्वारा 50 किलोग्राम से अधिक भार उठाना अनुपयुक्त माना गया है. इसलिए प्रदेश की कृषि उपज मंडियों में हम्मालों द्वारा उठाये जाने वाले बोरों का वजन 50 किलोग्राम से अधिक न रखा जाये.


प्रजापति ने कहा, इस आदेश के बावजूद हमसे अनाजों, दलहनों और तिलहनों के 85 किलोग्राम से लेकर 95 किलोग्राम वजन के बोरे उठवाये जा रहे हैं. यह वजन तय मानकों के मुकाबले लगभग दोगुना है. उन्होंने कहा कि लम्बे समय तक इतने भारी वजन के बोरे उठाने के बाद ज्यादातर हम्मालों को 40 साल की उम्र के बाद गर्दन, कन्धों, कमर और घुटनों की स्वास्थ्यगत समस्याएं शुरू हो जाती हैं. उधर, मंडी कारोबारियों के संगठन मध्य प्रदेश सकल अनाज दलहन तिलहन व्यापारी महासंघ समिति के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल ने हम्मालों की मांग को किसानों और व्यापारियों, दोनों के लिये व्यावहारिक रूप से अनुचित करार दिया.


अग्रवाल ने कहा, ज्यादातर हम्मालों को 50 किलोग्राम से ज्यादा वजन का बोरा उठाने में कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन कुछ हम्माल नेता आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इस मुद्दे पर अपनी राजनीति चमकाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि अगर कृषि उपज मंडियों में 50 किलोग्राम से ज्यादा वजन की भर्ती वाले बारदानों (खाली बोरों) को एकाएक प्रतिबंधित कर दिया जाता है, तो इस सीमा से अधिक भार की भर्ती वाले हजारों तैयार बारदान बेकार हो जायेंगे. इससे बारदान निर्माताओं को भारी नुकसान होगा.