इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के राजकीय बालिका विद्यालयों यानी जीजीआईसी में शौचालय, पेयजल, विद्युत आपूर्ति और फर्नीचर की सुविधाएं मुहैया न कराने पर कड़ा रूख अपनाया है. अदालत ने इस मामले में यूपी के मुख्य सचिव को एक माह में सुविधाएं मुहैया कराकर 31 अगस्त तक हलफनामा दाखिल करने को कहा है.


31 अगस्त को फिर से सुनवाई


कोर्ट ने कहा है कि यदि सरकार बालिका विद्यालयों में शौचालय सहित मूलभूत सुविधाएं नहीं दे पा रही है तो स्वच्छ भारत मिशन के प्रचार विज्ञापन में उन कॉलेजों का भी उल्लेख करे, जहां शौचालय नहीं है. अदालत इस मामले में 31 अगस्त को फिर से सुनवाई करेगी. यह आदेश न्यायमूर्ति अरूण टंडन तथा न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी की खण्डपीठ ने विनोद कुमार सिंह की याचिका पर दिया है.


शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव से मांगा था हलफनामा


कोर्ट ने बालिका विद्यालयों में शौचालय और अन्य सुविधाएं मुहैया कराने के मामले में शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव से हलफनामा मांगा था. विशेष सचिव ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि इन मामलों में 75 फीसदी बजट रिलीज किया जा चुका है. तकरीबन 20 से 25 फीसदी काम हो भी चुका है. पांच कॉलेजों में बिजली, ग्यारह में पानी और पांच में शौचालय नहीं है.


कार्यवाही कर रही है सरकार


दावा किया गया कि यह सब भी जल्द ही बनकर तैयार हो जायेंगे. बताया गया है कि बाइस कॉलेजों में अभी फर्नीचर भी दिया जाना बाकी है. सरकार कार्यवाही कर रही है. इस पर कोर्ट ने मुख्य सचिव को सभी सुविधाएं मुहैया कराकर कोर्ट को जानकारी देने को कहा है.