अदालत ने यूपी सरकार से पूछा है कि अगर डीएम को हटाया गया है तो फिर पुलिस अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नही की गई. अदालत ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए आज अर्जेंसी पर इसकी सुनवाई की.
अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि अगर यह सेक्स रैकेट का मामला है तो यह काम नेताओं, दूसरे वीआईपी और पुलिसवालों की मिलीभगत के बिना मुमकिन नहीं है. जो भी एजेंसी इस मामले की जांच करे, उसे इस बारे में गहराई से जांच करनी चाहिए.
अदालत ने यूपी सरकार से पूछा है कि इस केस को सीबीआई ने अभी अपने यहां दर्ज कर तफ्तीश शुरू की है या नहीं और क्या सीबीआई जांच करने को तैयार है.
इलाहाबाद की सामाजिक कार्यकर्ता पदमा सिंह और अनुराधा द्वारा आज दाखिल पीआईएल को अदालत ने बेहद गंभीर मानते हुए शेल्टर होम से रेस्क्यू कर छुड़ाई गईं सभी लड़कियों के मजिस्ट्रेटी बयान की कॉपी तलब कर ली है.
अदालत ने सरकार से यह भी पूछा है कि रेस्क्यू कर छुड़ाई गई चौबीस लड़कियों को अब कहां रखा गया है और उनकी सुरक्षा के क्या इंतजाम किये गए हैं. जो लडकियां लापता हैं, उनका पता लगाने और बरामदगी के क्या प्रयास किये जा रहे हैं.
अदालत ने लापता लड़कियों को ढूंढने और लापरवाह पुलिस वालों की जांच का जिम्मा गोरखपुर जोन के एडीजी को सौंपे जाने के यूपी सरकार के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है. अदालत ने यह भी कहा है कि अगर एडीजी ने चार दिनों में ठोस कदम नहीं उठाए तो अदालत तेरह अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई में यह ज़िम्मेदारी किसी एसआईटी को दे सकती है.
अदालत ने एडीजी और जांच एजेंसी से शेल्टर होम में आने वाली गाड़ियों और व्यक्तियों का ब्यौरा भी मांगा है. अदालत ने यह भी पूछा है कि अगर संस्था ब्लैक लिस्ट हो गई थी, तो पुलिस के लोग इस संस्था द्वारा चलने वाले शेल्टर होम में पीड़ित महिलाओं को रहने के लिए क्यों भेजते थे.
चीफ जस्टिस डीबी भोंसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की डिवीजन बेंच ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख तेरह अगस्त तय की है. अदालत ने मामले की जांच से जुड़े सभी अफसरों को भी अगली सुनवाई पर कोर्ट में मौजूद रहने को कहा है. अदालत ने जांच एजेंसियों को सोमवार को होने वाली सुनवाई के दौरान प्राइमरी रिपोर्ट भी पेश करने के आदेश दिए हैं.