अयोध्या: अयोध्या विवाद से संबंधित मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट सोमवार से सुनवाई शुरू कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई होगी. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में विवादित भूमि को राम लला, निर्मोही अखाड़ा और मूल मुस्लिम वादी के बीच बांटने का आदेश दिया था.


मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ की पीठ करेगी.


शीर्ष अदालत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने दो बनाम एक के बहुमत से हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए निर्देश दिया था कि मामले की सुनवाई तीन न्यायाधीशों की पीठ 29 अक्टूबर से करेगी.


बहुमत से दिए गए 27 सितंबर के फैसले में कहा गया कि नई संविधान पीठ दोनों पक्षों-हिंदू और मुस्लिम हितधारकों- द्वारा दायर याचिकाओं पर 29 अक्टूबर से सुनवाई करेगी.


मुस्लिम याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा सुनवाई करने की मांग की थी, क्योंकि अदालत ने शीर्ष अदालत के 1994 के फैसले पर विश्वास किया था कि इस्लाम में नमाज अदा करने के लिए मस्जिद आवश्यक नहीं है.


बता दें कि जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे वैसे राम मंदिर और अयोध्या चर्चा के केंद्र में आते जा रहे हैं. अगले कुछ दिनों में ही 5 राज्यों में भी चुनाव होने वाले हैं. एक ओर आरएसएस ने राम मंदिर की बात की है तो दूसरी ओर शिवसेना ने भी पूछ लिया है कि राम मंदिर जुमला तो नहीं था. सुप्रीम कोर्ट में भी अयोध्या विवाद पर 29 अक्टूबर से सुनवाई शुरू होने वाली है. हाल ही में स्वामी परमहंस आमरण अनशन पर भी बैठ गए थे.


मोहन भागवत ने दशहरा रैली की थी. इस रैली में उन्होंने सरकार को अल्टीमेटम दे दिया था कि कुछ भी करें, राम मंदिर बनना चाहिए. कानून से बनता है तो कानून बनना चाहिए. मोहन भागवत ने नागपुर में कहा, ''श्रीराम मंदिर का बनना स्वगौरव की दृष्टि से आवश्यक है, मंदिर बनने से देश में सद्भावना व एकात्मता का वातावरण बनेगा.''


प्रवीण तोगड़िया ने कहा था कि बीजेपी सरकार के पिछले साढ़े चार साल के कार्यकाल में ऐसा कानून क्यों नहीं लाया गया. तोगड़िया ने आरोप लगाया था कि आरएसएस अब यह मुद्दा उठा रही है क्योंकि चुनाव नजदीक है और बीजेपी सरकार का प्रदर्शन निराशाजनक है. उन्होंने कहा,"केन्द्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार के सभी मोर्चो पर विफल रहने और कई राज्यों और 2019 में लोकसभा चुनाव होने के मद्देनजर राम मंदिर का मुद्दा उठाया जा रहा है."


इसके बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने 25 नवंबर को अयोध्या जाने का एलान किया है. उद्धव ठाकरे ने मुंबई में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था, ''हम सभी को चेतावनी देते हैं जो सोचते हैं कि हिंदुत्व की मृत्यु हो गई है. हम अभी जीवित हैं. हम दुखी हैं कि राम मंदिर का निर्माण अभी तक नहीं हुआ है. मैं 25 नवंबर को अयोध्या का दौरा करूंगा.''