पटना: बिहार में शराबबंदी के दो लाख मुकदमों से अदालतों में इमरजेंसी जैसे हालात हो गए हैं. पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने ये टिप्पणी उस वक्त की जब वे शराबबंदी से जुड़े मामले की सुनवाई कर रहे थे. वहीं, बिहार सरकार के एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने बताया कि इसी साल सितंबर महीने में शराबबंदी से जुड़े मामलों का निपटारा करने के लिए 74 स्पेशल कोर्ट बनाने का निर्णय लिया गया है. पटना हाईकोर्ट से सहमति लेने के लिए यह प्रस्ताव भेजा है जिसपर सहमति अबतक नहीं मिल पाई है.


ललित किशोर ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि दो हज़ार से ज़्यादा क्लास 3 और क्लास 4 की नौकरी का प्रावधान भी कर दिया है जिससे अदालतों को सहूलियत हो. अगर जरूरत पड़ी तो सरकार स्पेशल कोर्ट के लिए बुनियादी सविधाएं भी मुहैया कराएगी. स्टील फैब्रिकेटेड कमरा भी बनाने को तैयार है. गुरुवार को हाईकोर्ट ने कहा था कि शराबबंदी मामले में 90 फीसदी आरोपियों को जमानत मिल गई है. सरकार बताए कि इनकी ज़मानत रद्द करने के लिए कितने मामलों में ऊपरी अदालत गई है.


कोर्ट ने सरकार से कहा था कि 24 घंटे के अंदर बताएं कि आपात स्थिति से निपटने के लिए सरकार क्या कर रही है? कोर्ट ने आरोपियों को इतनी बड़ी संख्या में जमानत मिल जाने पर सवाल किया कि क्या निर्दोषों को फंसाया जा रहा है ? हाईकोर्ट का कहना है कि ऐसे ही शराबबंदी को छोड़ निचली अदालतों में दूसरे प्रकार के मुकदमे पेंडिंग हैं. अदालतों पर बोझ बहुत ज़्यादा है इससे निपटने के लिए सरकार को पुख़्ता कदम उठाने चाहिए.


वहीं, सरकार की तरफ से जवाब दिया गया है कि अब कोर्ट को तय करना है कि आगे की क्या कार्रवाई होगी. बिहार सरकार के विधि मंत्री नरेंद्र नारायण यादव ने कहा कि सरकार की तरफ से मुकदमों के निपटारे में क्या किया जाना है इसकी रूप रेखा तैयार है. स्पेशल कोर्ट बनाने की बात हो गई है. वहीं आरजेडी नेता शिवचन्द्र राम ने कहा कि "सरकार की शराबबंदी फेल है, कोर्ट ने सही कहा है."


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