इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूरब का आक्सफोर्ड कही जाने वाली इलाहाबाद सेंट्रल युनिवर्सिटी की दिनों दिन खराब होती सुरक्षा व्यवस्था को लेकर दाखिल एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए यूपी के गृह विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है. चीफ जस्टिस डीबी भोंसले और जस्टिस सुनीत कुमार की डिवीजन बेंच ने प्रमुख सचिव को अपना जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते की मोहलत दी है.
लॉ स्टूडेंट शुभेन्दु मिश्रा ने दाखिल की थी पीआईएल
अदालत ने इस बारे में छात्रसंघ के पदाधिकारियों को भी नोटिस जारी कर उनसे पूछा है कि छात्रों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जिला प्रशासन व युनिवर्सिटी द्वारा उठाए जा रहे कदमों से छात्रसंघ क्यों असंतुष्ट हैं और किस प्रकार की व्यवस्था से सुरक्षा व्यवस्था में सुधार हो सकता है. पीआईएल दाखिल करने वाले युनिवर्सिटी के ही लॉ स्टूडेंट शुभेन्दु मिश्रा व कई अन्य ने कैम्पस की सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठाए हैं. हाईकोर्ट ने इस बारे में युनिवर्सिटी प्रशासन से भी जवाब मांगा है.
युनिवर्सिटी परिसर में हो गई थी एक छात्र की हत्या
छात्रों का कहना है कि युनिवर्सिटी परिसर में क्लासरूम में एक छात्र की हत्या कर दी गई. इसकी अलावा पिछले दिनों वाइस चांसलर के साथ धक्का मुक्की व बदसलूकी की गई. कैम्पस के साथ ही युनिवर्सिटी के हॉस्टल्स में भी छात्र खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. याचिका में दावा किया गया कि अभिभावक अब इस सेंट्रल युनिवर्सिटी में अपने बच्चों का दाखिला कराने में कतराने लगे हैं. हालांकि अदालत याचिकाकर्ता छात्रों की इस दलील से सहमत नहीं थी.
कोर्ट ने दो सप्ताह में मांगा जवाब
कोर्ट का कहना था कि यदि अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला नहीं कराना चाहते तो यह बताया जाए कि किन-किन क्लासों में कितनी सीटें खाली है. क्या दाखिला न होने से कोई सीट खाली है. इतना ही नहीं कोर्ट ने यह भी कहा कि आपराधिक घटनाएं कहीं भी किसी के साथ हो सकती है, और यह हर जगह हो जाती है. ऐसे में सीधे तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि सेन्ट्रल युनिवर्सिटी में छात्रों के बीच असुरक्षा एवं अराजकता का माहौल है. बहरहाल कोर्ट ने हाल में हुई कुछेक घटनाओं को देखते हुए सुरक्षा के बिन्दु पर छात्रसंघ व युनिवर्सिटी प्रशासन के साथ-साथ प्रदेश सरकार के गृह विभाग से दो सप्ताह में जवाब मांगा है.