नई दिल्लीः हाईकोर्ट ने अखिलेश यादव के होटल बनाने के मंसूबे पर पानी फेर दिया है.. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष लखनऊ में एक हेरिटेज होटल शुरू करना चाहते थे. लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने होटल के निर्माण पर रोक लगा दी है. शिशिर चतुर्वेदी ने कोर्ट से हाई सिक्योरिटी ज़ोन में होटल बनाने पर रोक लगाने की अपील की थी. उन्होंने अखिलेश के क़रीबी लोगों पर जान से मारने की धमकी देने का आरोप भी लगाया है. अदालत में अब इस मामले की अगली सुनवाई 5 सितंबर को होगी.
यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव की लखनऊ के विक्रमादित्य मार्ग पर एक प्लॉट है. उनकी सांसद पत्नी डिंपल यादव भी इस ज़मीन की मालकिन हैं. दोनों ने मिल कर ये ज़मीन रामनाथ से ख़रीदी थी. तब मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे. अखिलेश ने जब प्लॉट ली थी, तब इस ज़मीन पर मकान बनाये जाने की इजाज़त मिली थी. अखिलेश यादव जब यूपी के सीएम बने तो उन्होंने इसका लैंड यूज बदलवा लिया. इस ज़मीन पर हेरिटेज होटल बनाने की इजाज़त ले ली गई.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यूपी के सभी पूर्व मुख्य मंत्रियों को सरकारी बंगला ख़ाली करना पड़ा. अखिलेश यादव को भी 4 विक्रमादित्य मार्ग का बंगला इसी जून महीने में ख़ाली करना पड़ा. तब से वे सुशांत गोल्फ़ सिटी में किराए के मकान में रह रहे हैं. अपनी ज़मीन पर हिबिसकस होटल बना कर अखिलेश अपने परिवार संग उसमें रहना चाहते थे. होटल का नक़्शा पास कराने के लिए उन्होंने लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी से इजाज़त मांगी थी. अथॉरिटी ने नक़्शे को लेकर अखिलेश यादव से कुछ सवाल भी पूछे थे. बाद में मामला टाउन प्लानर को भेज दिया गया. इसी बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में मामला चला गया. अखिलेश यादव के ख़िलाफ़ कोर्ट जाने वाले शिशिर चतुर्वेदी का आरोप है कि सीएम रहते हुए उन्होंने अपने पद का दुरूपयोग किया. जिस इलाक़े में सीएम और डिप्टी सीएम से लेकर कई मंत्री रहते हैं, वहां होटल नहीं बन सकता है. शिशिर कहते हैं कि अदालत जाने पर अखिलेश के निजी सचिव गजेन्द्र सिंह ने उन्हें धमकी दी है. कोर्ट के आदेश पर उन्हें सुरक्षा भी मिल गई है. गजेन्द्र ने शिशिर के आरोपों को झूठा बताया है.
अखिलेश यादव ने जब से सरकारी बंगला ख़ाली किया है. तब से वे किसी न किसी वजह से विवादों में रहे हैं. योगी सरकार ने अखिलेश पर सरकारी घर से टोंटी तक उखाड़ लेने का आरोप लगाया था. जवाब में अखिलेश एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में टोंटी तक लेकर आ गए. इसके कुछ दिनों बाद यूपी सरकार ने सरकारी घर में हुए नुक़सान की जांच शुरू कर दी. जांच में पाया गया कि अखिलेश के घर छोड़ने से पहले उसमें तोड़फोड़ हुई थी.