इलाहाबाद: इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किये जाने के योगी सरकार के फैसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब तलब कर लिया है. अदालत ने यूपी सरकार से उस यूपी री आर्गनाइजेशन एक्ट के बारे में जानकारी मुहैया कराने को कहा है, जिसके आधार पर इलाहाबाद का नाम बदला गया है. अदालत ने यूपी सरकार से यह भी पूछा है कि इस एक्ट के तहत पहले कभी जिलों का नाम बदलने का फैसला हुआ हो तो उस बारे में भी जानकारी मुहैया कराई जाए.

मामले की सुनवाई कर रही डिवीजन बेंच में इस मामले में अब तेरह नवम्बर को सुनवाई किये जाने का फैसला किया है. अदालत ने नाम बदलने के खिलाफ दाखिल सभी अर्जियों पर अब एक साथ सुनवाई किये जाने का फैसला किया है.

जस्टिस एपी शाही और जस्टिस अजीत कुमार की डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की तरफ से कहा गया कि नाम बदलने में नियमों का पूरी तरह से पालन किया गया है. नाम बदला नहीं गया है, बल्कि पुराने नाम को फिर से बहाल किया गया है. नाम बदलने की प्रक्रिया यूपी री आर्गनाइजेशन एक्ट के तहत की गई है.

गौरतलब है कि यूपी की योगी सरकार ने सोलह अक्टूबर को कैबिनेट की बैठक के बाद अठारह अक्टूबर को जीओ जारी कर इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया था.

योगी सरकार के इस फैसले के खिलाफ कई लोगों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की. अर्जियों में कहा गया कि सरकार को किसी जिले का नाम बदलने का अधिकार ही नहीं है. रेवेन्यू एक्ट 2006 की धारा 6 के तहत रेवेन्यू एरिया घटा -बढ़ाकर तहसील या ब्लाक का नाम तो बदला जा सकता है, लेकिन जिले का नाम नहीं बदला जा सकता. बुधवार को अदालत में महिला वकील सुनीता शर्मा की पीआईएल पर सुनवाई हुई.