मेरठ: अखिल भारत हिंदू महासभा की न्यायपीठ पर हाईकोर्ट ने सवाल खड़े करते हुए प्रदेश सरकार को नोटिस भेजा है और मामले पर जबाब तलब किया है. स्वतन्त्रता दिवस को शोक दिवस मनाने वाली महासभा ने 15 अगस्त को मेरठ में हिंदू न्यायपीठ की स्थापना की थी. गुजरात के द्वारिका में मुरली आश्रम की महन्त मां पूजानन्द गिरि उर्फ डॉ0 पूजा शकुन पांडेय को इस न्यायपीठ का पहला चीफ जस्टिस बनाया गया है. शरिया अदालत के मुकाबले में स्थापित इस अदालत की सुनवाई में खाप पंचायत की तरह मौत की सजा देने का भी प्रावधान रखा गया है.

गोडसे की पुजारिन और तथाकथित जज बापू के कत्ल के लिए आतुर

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की विचारधारा को अपना आदर्श मानने वाली अखिल भारत हिंदू महासभा ने मेरठ में हिंदुओं से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए संविधान को ताक पर रखकर न्यायपीठ की स्थापना की है. न्यायपीठ की चीफ जस्टिस की कुर्सी पर डॉ0 पूजा शकुन पांडेय की नियुक्ति की गई है जिन्होने खुद को सन्यासिनी और गुजरात द्वारिका स्थित मुरली आश्रम की महन्त बताया है.



पूजा शकुन पांडेय कहती है कि महात्मा गांधी को देश का राष्ट्रपिता कहलाने का अधिकार नही है. अगर वह खुद गोडसे से पहले पैदा हुई होती तो वह खुद महात्मा गांधी की हत्या कर देतीं. पांडेय ने कहा कि मुसलमानों की शरिया अदालतों की तरह महासभा की लंबे समय से सरकार से मांग थी कि त्वरित न्याय के लिए हिंदुओं के लिए भी धार्मिक न्यायपीठ का प्रावधान होना चाहिए. इस अदालत में हिंदुओं के घरेलू मामलों के अलावा सामाजिक मामले भी सुने जायेंगे.

न परीक्षा, न इंटरव्यू, तिलक-चंदन और मालाओं से हुई जज की नियुक्ति

हिंदू महासभा ने न्यायपीठ के लिए किसी कानून के विशेषज्ञ का सहारा नहीं लिया. महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पं0 अशोक शर्मा के मुताबिक न्यायपीठ की चीफ जस्टिस बनाई गयी डॉ0 पूजा शकुन पांडेय उर्फ मां पूजानंद गिरि महासभा से बर्षो से जुड़ी है और वर्तमान में महासभा की राष्ट्रीय सचिव भी है. वह गणित की विद्यार्थी रही है और एमफिल और पीएचडी तक उनकी शिक्षा है. आज महासभा के कार्यालय में आयोजित समारोह में उन्हें चीफ जस्टिस की पदवी दी गई. इसके लिए उनका तिलक किया गया और महासभा के पदाधिकारियों ने उन्हें मालाऐं भी पहनाई.



खाप पंचायतों की तरह मौत की सजा का प्रावधान

हिंदू न्यायपीठ में केवल हिंदुओं की फरियादों की ही सुनवाई होगी. गांव-मुहल्लों के झगड़ों से लेकर घरेलू मामले तक निपटाये जायेंगे. यह पूछने पर कि सजा का प्रावधान कैसे रहेगा, न्यायपीठ की जज डॉ0 पूजा शकुन पांडेय ने बताया कि पहले बातचीत और आर्थिक जुर्माना से मामलों का हल निकाला जायेगा और अगर बात नही बनती तो मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है. यह पूछे जाने पर कि सजा तय होने के बाद मृत्युदंड कैसे दिया जायेगा, डॉ0 पूजा शकुन पांडेय ने बताया कि जैसे गोडसे ने बंदूक उठाई थी, वैसे ही महासभा के पदाधिकारी सजा देगें.



अवैध अदालत से इंसाफ की उम्मीद कैसे होगी

लोकतन्त्र में धार्मिक अदालतों का प्रावधान हमारे देश में नही है और न ही संविधान इसकी इजाजत देता है. अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पं0 अशोक शर्मा ने बताया कि इस सवाल को पूछने से पहले सरकार मुसलमानों से पूछे कि शरिया अदालतें कैसे चल रही हैं. हिंदुओं को भी अपनी धार्मिक अदालतें चलाने का अधिकार है. अदालतें हमारी नजर में वैध है और अगर सरकार हमले इस बारे में पूछेगी तो उसे जबाब भी दिया जायेगा. 2 अक्टूबर को महासभा न्यायपीठ की बायलॉज जारी करेगी. महासभा पूरे देश में इसी तरह अदालतों का विस्तार करेगी.



हिंदू धर्म पर टिप्पणियां करने वाले रहेगे हिंदू कोर्ट के निशाने पर

न्यायपीठ हिंदू-हितों के अलावा हिंदू धर्म से जुड़े मामलों को भी सुनेगी. हिंदु धर्म पर आपत्तिजनक टिप्पणियां करने वाले नेता और धार्मिक हस्तियां न्यायपीठ के निशाने पर रहेगे. महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पं0 अशोक शर्मा का कहना है कि हिंदुओं पर कुछ भी बोलने वाले होशियार रहें. नोटिस देकर ऐसे लोगो को न्यायपीठ में तलब किया जायेगा और अगर न्यायपीठ को कोई हलके में लेता है तो उसके लिए सार्वजनिक सजा का प्रावधान है. सजा देने की जिम्मेवारी महासभा के पदाधिकारियों को सौंपी जायेगी.



बीजेपी ने कहा- लोकतन्त्र का मजाक बनाने वालों पर हो कार्रवाई

बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता डॉ0 लक्ष्मीकांत वाजपेई ने हिंदू महासभा की इस कोर्ट को असंवैधानिक करार दिया है. वाजपेई ने कहा कि लोकतन्त्र में संविधान के अनुसार कानून चलता है. इस तरह अगर गली-मुहल्ले धर्म के नाम पर कोर्ट खुल जायेगे तो समाज में अराजकता फैलेगी. प्रदेश सरकार और जिले के अफसरों को ऐसे अवैध कोर्ट के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. यह संविधान का अपमान है.

हाईकोर्ट के निर्देश के बाद जिले में हड़कम्प

हाईकोर्ट ने मेरठ में खुली इस कोर्ट पर प्रदेश सरकार से जबाब तलब किया है. मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि डीएम मेरठ और इस कोर्ट की तथाकथित जज पूजा शकुन पांडेय को पक्षकार बनाया जाये और इस मामले में वैधानिक कार्रवाई की जाये. हाईकोर्ट के आदेश के बाद से जिले में हड़कंप मचा हुआ है.