नोएडा: ईद-उल-फितर से ठीक पहले नोएडा के जेपी हॉस्पिटल में दोस्ती और भाईचारे की एक अनूठी मिसाल सामने आई. यहां के चिकित्सकों ने एक हिंदू और एक मुस्लिम मरीज का किडनी ट्रांसप्लांट (गुर्दा प्रत्यारोपण) कर उन दोनों को नई जिंदगी दी.
हिंदू मरीज की पत्नी का ब्लड ग्रुप मुस्लिम मरीज के साथ तथा मुस्लिम मरीज की पत्नी का ब्लड ग्रुप हिंदू मरीज के साथ मैच होता था, ऐसे में चिकित्सकों ने इन्हें एक दूसरे को किडनी देने का सुझाव देकर एक बेहतर भाईचारे की मिसाइल पेश की.
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किडनी के इस मामले से न केवल दोनों मरीजों की जान बची, बल्कि समाज को भी आपासी सौहार्द का संदेश मिला. चिकित्सकों के इस दल में किडनी ट्रांसप्लांट विभाग से डॉ. अमित देवरा, डॉ. मनोज अग्रवाल और डॉ. एल.पी. चौधरी और नेफ्रोलॉजी विभाग से डॉ. अनिल प्रसाद भट्ट, डॉ. भीमराज और डॉ. हारून शामिल थे.
जेपी हॉस्पिटल के सीनियर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. अमित देवरा ने कहा, "दोनों मरीजों की जांच करने पर उनमें क्रॉनिक किडनी रोग पाया गया (हाईपरटेंशन के साथ एमएचडी/मेंटेनेंस हीमोडायलिसिस पर), उन्हें रीनल एलोग्राफ्ट ट्रांसप्लान्ट के लिए जेपी हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था. किडनी ट्रांसप्लांट की दोनों सर्जरियां सफल रहीं, सर्जरी के बाद दोनों डोनर और दोनों मरीज ठीक हैं. किडनीदाता बालो और लीला को सर्जरी के कुछ ही दिन बाद छुट्टी दी गई, वहीं मरीज इकराम और अनिल को ट्रांसप्लांट के 12 दिनों के बाद छुट्टी दी गई."
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अस्पताल के वरिष्ठ किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल प्रसाद भट्ट ने कहा, "53 वर्षीय इकराम और 43 वर्षीय अनिल कुमार राय की किडनी लगातार हाईब्लड प्रेशर के कारण खराब हो गई थीं. हमने दोनों परिवारों के साथ अलग से मीटिंग की. हमने उन्हें बताया कि एक मरीज की पत्नी दूसरे मरीज को किडनी देकर उनकी जान बचा सकती है. दोनों परिवारों को किडनी आदान-प्रदान के बारे में पूरी जानकारी दी. आखिरकार दोनों परिवार तैयार हो गए."