लखनऊ: महामारी कोरोना वायरस के कारण किए गए लॉकडाउन के चलते आर्थिक गतिविधियां रुक गई थी. इसका असर ये हुआ कि सरकार का खजाना खाली होता चला गया और उसे भारी नुकसान उठाना पड़ा. इसी कारण अनलॉक की शुरुआत की गई. अनलॉक-1 में आर्थिक गतिविधियों ने रफ्तार पकड़ी तो सरकार का खाली होता खजाना भी भरने लगा. जून महीने में उत्तर प्रदेश सरकार ने राजस्व प्राप्ति का जो लक्ष्य रखा था, उसका 61 फीसदी हासिल कर लिया. बता दें कि जून में प्रदेश सरकार को 8,848 करोड़ रेवेन्यू के तौर पर मिला. एक तरफ जहां अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़ी तो वहीं दूसरी तरफ कोरोना ने भी रफ्तार पकड़ ली. जून की शुरूआत में यूपी में कोरोना के कुल मामले जहां 8,300 के आसपास थे वहीं जून खत्म होते होते इसमें तीन गुना का इजाफा हुआ. और मामले तकरीबन 24,000 तक पहुंच गए.
वित्तीय वर्ष 2020-21 में पेश किया भारी-भरकम बजट
यूपी सरकार ने फरवरी महीने में वित्तीय वर्ष 2020-21 का जो बजट पेश किया वो अब तक राज्य के इतिहास का सबसे भारी भरकम बजट था. ये बजट लगभग 5 लाख 12 हजार करोड़ से ज्यादा का था. इसमें वित्तीय वर्ष के पहले तीन महीने अप्रैल मई और जून का रेवेन्यू का टारगेट 41,602 करोड़ रखा गया था, लेकिन किसे पता था कि इसी बीच कोरोना जैसी महामारी आ जाएगी और सबकुछ ठप सा हो जाएगा. यहीं वजह रही कि लगातार राज्स्व की प्राप्ति में कमी होती गई. इन तीन महीनों में अप्रैल में लगभग 2 हजार करोड़, मई में तकरीबन 5 हजार करोड़ और जून में लगभग 8,848 करोड़ रेवेन्यू ही सरकार के खाते में आया. यानि कुल 15,716 करोड़ राजस्व की प्राप्ति हुई जो लक्ष्य का महज 38 फीसदी ही रहा.
जब अनलॉक की शुरुआत हुई तो जून महीने में सबसे ज्यादा 8848 करोड़ रेवेन्यू मिला, जो लक्ष्य 14447 करोड़ के मुकाबले 61 फीसदी रहा. इसमें भी सबसे ज्यादा जीएसटी और आबकारी विभाग से मिले टैक्स ने सरकार के खजाने को भरने में मदद की. आबकारी का जून महीने का रेवेन्यू का लक्ष्य तकरीबन 3700 करोड़ का था जिसमें से लगभग 2500 करोड़ राजस्व की प्राप्ति हुई. हालांकि उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना का कहना है कि राजस्व प्राप्ति का जो लक्ष्य सरकार ने तय किया था अभी तो उसका आधा भी हासिल नहीं हुआ है, लेकिन उम्मीद है कि आने वाले समय में टैक्स कलेक्शन और बेहतर होगा.
जानकारों की मानें तो सरकार को जब टैक्स के रूप में रेवेन्यू मिलता है तो इसका सीधा फायदा आम लोगों को होता है. मसलन अपना खजाना भरने के लिए सरकार कोई नए टैक्स नहीं लगाती, सरकारी कर्मचारियों को वेतन और पेंशन धारियों को पेंशन समय पर मिलती है. खास तौर से उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में जहां 16 लाख सरकारी कर्मचारी हैं. विकास की जो योजनाएं चलती हैं उनमें व्यवधान नहीं होता, इसिलिए फोकस ज्यादा से ज्यादा राजस्व प्राप्ति पर है.
हालांकि इस दौरान कोरोना के मामलों में भी इजाफा देखा गया. इन मामलों के बढ़ने के पीछे एक वजह लगातार टेस्ट की संख्या बढ़ना भी है. जून के पहले हफ्ते तक जहां तकरीबन 5 से 6 हजार जांच ही होती थी तो वहीं जून खत्म होते होते 28,000 के पार ये जांच पहुंच गई. वित्त मंत्री सुरेश खन्ना का कहना है कि कोरोना के मामले बढ़ने के पीछे कहीं ना कहीं आम लोगों की लापरवाही भी एक बड़ी वजह है. लोग सरकार की गाइलाइंस को फॉलो नहीं कर रहे हैं. मास्क का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, सोशल डिस्टेंसिंग को भी नहीं मान रहे हैं.
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