नई दिल्ली: झारखंड के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अब तक की सबसे ज़्यादा 16 सीटें मिली और हेमंत सोरेन और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई. जब हेमंत सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तो कांग्रेस की तरफ से झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष रामेश्वर उरांव और विधायक दल के नेता आलम गीर आलम ने भी शपथ ली थी, लेकिन अभी तक विभागों का बंटवारा नहीं हो पाया था और ना ही कांग्रेस के बाकि मंत्री ने शपथ ली थी.


कांग्रेस के सामने क्या समस्या थी?


आज 28 जनवरी को झारखंड में मंत्रिमंडल का विस्तार होने जा रहा है, लेकिन कांग्रेस के सामने समस्या थी कि सिर्फ़ दो ही मंत्री बनने हैं तो ऐसे किसे शपथ दिलाएं और दूसरा 16 में से 4 महिलाएं पहली बार चुनकर आयी हैं. झारखंड के प्रभारी आरपीएन सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष के सामने विधायकों का रिकॉर्ड सामने रख दिया, जिसमें यह साफ़ लिखा था कि कौन कितनी बार विधायक बना है?  कितनी महिलाएं है? कितने दूसरी बार जीते हैं? और कौन सबसे ज़्यादा बार विधायक रहा है?


पहली बार चुनकर आने वाले नहीं बनेंगे मंत्री- सोनिया गांधी


पहली बार जीतने वालों की संख्या ज़्यादा होने के कारण कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने यह साफ़ कर दिया कि पहली बार जो चुनकर आए हैं, उन्हें मंत्री नहीं बनाया जाएगा. ऐसे में पहली बार चार महिला जीतकर आयी तो वो मंत्री की रेस से बाहर हो गयी.


दूसरी बार जीतकर आए झारखंड के कार्यकारी अध्यक्ष इरफ़ान अंसारी को भी मंत्रीमंडल में जगह नहीं मिली. क्योंकि अल्पसंख्यक कोटे से विधायक दल के नेता आलम गीर आलम पहले ही शपथ ले चुके हैं. दूसरी बार जीतकर आए बिना गुप्ता और बादल पतर लेख के नाम पर मोहर लगी जो आज कांग्रेस के कोटे से हेमंत सोरेन के मंत्रीमंडल में शामिल होंगे. आज की शपथ के बाद अभी तक कांग्रेस की तरफ़ से कुल चार मंत्री बनाए गए हैं.


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