नई दिल्ली: यूपी में पांच दौर के मतदान के बाद भी सभी पार्टियों जीत के दावे तो कर रही हैं लेकिन अब सबको ये आशंका भी होने लगी है कि कहीं त्रिशंकु विधानसभा बन गई तो क्या होगा. हर कोई जनता को सावधान कर रहा है कि हमें वोट नहीं दिया तो बाकी मिलकर सौदेबाजी कर लेंगे.


देश पर होली का खुमार छा रहा है लेकिन चर्चा राखी की हो रही है. राखी की इस चर्चा की वजह है 15 साल पुरानी 22 अगस्त 2002 की एक घटना है. इस दिन जब मायावती ने बीजेपी नेता लालजी टंडन को राखी बांधी थी.


राखी इसलिए बांधी थी क्योंकि तब मायावती ने बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई थी. अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव इसी घटना की याद दिलाकर वोटरों को चेता रही हैं.


300 सीटें जीतने का दावा तो सबका है लेकिन प्रचार की भाषणबाजी से त्रिशंकु विधानसभा की आशंका अब चर्चा में है. हर कैंप दूसरे कैंप से डरा हुआ है. मऊ की रैली में पीएम मोदी ने खुलकर सौदेबाजी की आशंका सामने रख दी.


जब सब यही सब कह रहे हैं तो बीएसपी प्रमुख मायावती का डर कैसे सामने नहीं आता. सबका डर जायज है क्योंकि यूपी में हर नेता हर किसी के साथ सत्ता की खिचड़ी पका चुका है. सबसे ज्यादा तर्जुबा मायावती के पास ही है.


1989 में मुलायम सिंह बीजेपी के समर्थन से सीएम बने थे. राम मंदिर आंदोलन के चक्कर में बीजेपी ने समर्थन वापस लिया था. 1993 में मुलायम और मायावती ने मिलकर चुनाव लड़ा था.


मायावती पहले 6 महीने के लिए सीएम बनी थी लेकिन 6 महीने बाद मुलायम को सत्ता देने से मना कर दिया तो सरकार गिर गई. इसी के बाद 1994 को गेस्ट हाउस कांड में कथित रूप से मायावती पर हमला हुआ था.


2002 में मायावती ने बीजेपी के साथ प्रयोग करके सरकार बनाई तभी मायावती बीजेपी की राखी सिस्टर बनी थीं. 2004 में मुलायम ने कांग्रेस को समर्थन देकर केंद्र में यूपीए सरकार 5 साल तक चलवाई थी. अब उन्हीं के सुपुत्र कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ रहे हैं.