संतकबीरनगर: योगी की हिन्दू युवा वाहिनी के बागी और हियुवा "भारत" के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह जेल से जमानत पर रिहा हुए हैं. जेल से छूटने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ पहली बार जहर उगला है. हालांकि इसके पहले तक वे उन्हीं को अपना संरक्षक बताते रहे हैं. उन्होंने कहा है कि इस बार वे योगी आदित्यनाथ की बीजेपी को नेस्तनाबूद करने के लिए यमराज से गठबंधन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे.
मंगलवार को लखनऊ जेल से छूटने के बाद उन्होंने संतकबीरनगर में कहा कि हम लोगों की सक्रियता को देखकर उनको खतरा महसूस होने लगा. हम 2019 के चुनाव में उत्तर प्रदेश की सभी सीटों पर प्रत्याशी खड़ा करेंगे. जहां पर हम प्रत्याशी नहीं उतारेंगे, वहां पर जो बीजेपी को हराएगा उसका समर्थन करेंगे.
उन्होंने कहा कि हमारा संगठन जहां से कहेगा वहां से हम चुनाव लड़ेंगे. सपा-बसपा गठबंधन का साथ देने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि ये राजनीतिक गठबंधन है और जो लोग समाज के साथ धोखा कर रहे हैं, उनके खिलाफ ये ठीक ही है.
सपा-बसपा गठबंधन का साथ देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि बीजेपी को ज़ीरो पर आउट करने के लिए और योगी आदित्यनाथ की बीजेपी को नेस्तनाबूद करने के लिए उन्हें यमराज से भी गठबंधन करना पड़े तो वे पीछे नहीं हटेंगे.
गोरखपुर के पांच बार सांसद रहे गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्यनाथ के साथ कभी साए की तरह रहने वाले सुनील सिंह अब उनके चिर-प्रतिद्वंदी और राजनीतिक दुश्मन बन बैठे हैं. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के कारण कई कार्यकर्ताओं के साथ बागी हुए योगी की हियुवा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह ने अपना संगठन खड़ा कर लिया.
उस समय उन्होंने अपने प्रत्याशी भी बीजेपी के खिलाफ उतारे थे. हालांकि मुख्यमंत्री बनने के पहले और बाद में सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुले मंच से ये बात साफ कर दी थी कि हियुवा राजनीतिक संगठन नहीं है. बागियों को उन्होंने बाहर का रास्ता भी दिखा दिया था. उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद कभी उनके सबसे करीबी रहे और अपना संगठन खड़ा करने वाले सुनील सिंह के भी बुरे दिन शुरू हो गए.
पिछले साल 7-8 माह पहले युवा वाहिनी के पदाधिकारी को धमकी देने मामले में राजघाट पुलिस ने सुनील सिंह के करीबी हियुवा भारत के पदाधिकारी चंदन विश्वकर्मा को हिरासत में लेकर थाने में बंद किया था. जब इसकी सूचना सुनील सिंह और उनके समर्थकों को लगी तब वे थाने का घेराव कर लिए और तोड़फोड़ भी की.
पुलिस ने सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में केस दर्ज कर सुनील सिंह को गिरफ्तार कर लिया. उसके चार दिन बाद थाने से कुछ दूरी पर खड़ी कर में पेट्रोल बम बरामद हुआ. ये कार सुनील सिंह और उनके सहयोगी की बताई गई. उसके बाद उनके खिलाफ रासुका की कार्रवाई की गई. कोर्ट के आदेश पर उन्हें जेल भेज दिया गया.
तभी से वे गोरखपुर जेल में बंद रहे हैं. उसके बाद उन्हें लखनऊ जेल शिफ्ट कर दिया गया. नतीजा शनिवार को हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद परवाना गोरखपुर जेल पहुंचा. जहां से इसे लखनऊ जेल भेज दिया गया था. मंगलवार को सुनील सिंह जमानत पर जेल से छूट गए.