पटना: आरजेडी नेता और लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने बड़ा बयान देते हुए कह दिया है कि जो भी धर्मनिरपेक्ष पार्टियां महागठबंधन में आना चाहती हैं उनका स्वागत है, उनकी पार्टी और परिवार कभी किसी को मना नहीं करता है.
दरसअल तेज प्रताप यादव रांची के रिम्स में भर्ती अपने पिता से मिलने गए थे. लालू यादव से मुलाकात के बाद पत्रकारों से मुखातिब तेज प्रताप से जब ये पूछा गया कि तेजस्वी यादव का कहना है कि नीतीश कुमार महागठबंधन में लौटने का मौका तलाश रहे हैं, तो इसके जवाब में तेज प्रताप ने नीतीश को महागठबंधन में शामिल होने का न्यौता दे दिया. तेज प्रताप ने कहा कि बिहार की जो स्थिति है उसमें जो भी हमारे साथ आना चाहे आ सकता है हालांकि इसका अंतिम निर्णय लालू यादव ही करेंगे. तेज प्रताप रांची में पार्टी के युवा कार्यकर्ता सम्मेलन में शामिल होने के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे.
आपको याद दिला दें कि ये वही तेज प्रताप हैं जिन्होंने कुछ महीने पहले राबड़ी आवास के बाहर 'नीतीश चाचा, नो एंट्री' के पोस्टर दिखाए थे. नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होने के बाद से ही तेजस्वी यादव समेत उनकी पूरी पार्टी नीतीश के खिलाफ हमलावर ही रही है और हर मौके पर तेजस्वी ने नीतीश की वापसी का विरोध ही किया है.
ऐसे में तेज प्रताप का ये बयान भाई-भाई के बीच में मनभेद और मतभेद दोनों दर्शा रहा है. ये बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि नीतीश कुमार को लेकर तेज प्रातप के सुर बदले-बदले से नज़र आ रहे हैं. कुछ ही दिन पहले पटना में पार्टी दफ्तर में तेज प्रताप ने ऐलान किया था कि उनकी लड़ाई नीतीश से नहीं बल्कि बीजेपी-आरएसएस से है.
तेज प्रताप ने ये बयान लालू यादव से मुलाकात के ठीक बाद दिया है, ऐसे में बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि क्या उनको नीतीश कुमार को लेकर नरम रुख अख्तियात करने का निर्देश लालू यादव की तरफ से मिला है. हालांकि इसकी गुंजाइश कम ही दिखाई पड़ रही है.
दरअसल अपनी पत्नी से तलाक की अर्जी देने के बाद से ही तेज प्रताप परिवार और पार्टी में अलग-थलग पड़े हुए हैं. डेढ़ महीने तक इधर-उधर घूमने के बाद तेज प्रताप वापस पटना लौटे हैं और घर से अलग अपना वजूद तलाश रहे हैं और इसी सिलसिले में उन्होंने नीतीश कुमार से एक अलग बंगले की मांग भी की है ताकि वो पटना में ही अपने घर से दूर रह सकें और अपनी राजनीति पर ध्यान दे सकें.
हालांकि सूत्रों का दावा है कि खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मामले में नहीं पड़ना चाहते क्योंकि उन्हें लगता है कि तेज प्रताप को अलग बंगला देने से साफ तौर पर ये संदेश जाएगा कि वो पारिवारिक मामले में दखल दे रहे हैं और परिवार को तोड़ने में भूमिका निभा रहे हैं. यही वजह से कि तेज प्रताप के कई बार फोन करने के बाद भी नीतीश कुमार ने अभी तक उनसे बात नहीं की है.
तेज प्रताप के इस रुख को बंगले की चाह से जोड़कर भी देखा जा रहा है हालांकि जो भी हो लेकिन तेज प्रताप जिस तरीके से नीतीश कुमार को लेकर नरम रुख दिखा रहे हैं उससे इतना तो साफ है कि कुछ तो है जिसकी चाह में तेज प्रताप अपने चाचा की 'नो एंट्री' से बैन हटा दिया है. हालांकि ये पार्टी और परिवार से ज्यादा तेज प्रताप की व्यक्तिगत राय ही नज़र आ रही है लेकिन अगर ऐसा है भी तो ये आने वाले समय में लालू परिवार की मुश्किलें बढ़ा सकता है.