वाराणसी: इन दिनों प्रियंका गांधी को कांग्रेस से वाराणसी लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा जोरों पर है. आम राय यह है कि प्रियंका के आने से यहां का चुनावी समर दिलचस्प हो जाएगा. एक तरफ जहां स्थानीय कांग्रेस नेता जीत का दावा कर रहे हैं तो वहीं बीजेपी के नेताओं का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत सुनिश्चित है. कुछ लोगों की राय यह भी है कि अगर प्रियंका वाराणसी से चुनाव हारती हैं तो उनके राजनीतिक करियर पर इसका काफी असर पड़ेगा. राजनीतिक चिंतकों और पत्रकारों का मानना है कि प्रियंका गांधी चुनावों के समय दिखने वाला कांग्रेस का स्टार चेहरा हैं, जो उन्हें एक बहुत गंभीर उम्मीदवार नहीं बनाता.


बीजेपी समर्थक बृजेश चन्द्र पाठक कहते हैं कि यह प्रियंका गांधी के लिए पॉलिटिकल सुसाइड करने जैसा होगा. उनका मानना है कि मोदी के विकास के गुजरात मॉडल को 2014 में लोगों ने केवल सुना था, लेकिन विगत पाँच वर्षों में वाराणसी के विकास में उन्होंने उसे मूर्त रूप में देख लिया है. ऐसे में वाराणसी में मोदी के सामने कोई चुनौती नहीं है.


महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में समाजशास्त्र के प्रोफेसर सुनील मिश्रा का कहना है कि अब तक प्रियंका गांधी की छवि चुनावों से पहले दिखने वाले एक चेहरे के रूप में ही रही है. उन्होंने कहा कि काशीवासियों की एक परम्परा रही है कि वे पर्यटन के लिए आने वालों को बहुत सम्मान देते हैं, लेकिन उनको यहां स्थायी रूप से बस जाने की स्वीकृति नहीं देते. काशीवासी प्रियंका गांधी को भी एक पर्यटक के रूप में देखते हैं. अभी कुछ दिन पूर्व भी वे एक पर्यटक के रूप में आईं और गंगा किनारे भ्रमण कर चली गईं. काशीवासी वोट देते समय यह जरूर देखेंगे कि उनके समग्र विकास के लिए किसने काम किया. उनके मुताबिक प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने से कोई बहुत बड़ा प्रभाव नहीं पड़ने वाला.


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कांग्रेस नेता राघवेंद्र चौबे ने प्रियंका गांधी के वाराणसी से जीतने की बात कही. उन्होंने कहा कि बनारस का कार्यकर्ता उनके यहां से चुनाव लड़ने को लेकर बहुत उत्साहित है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने केवल वायदे किये हैं लेकिन देश में विकास के नाम पर कुछ नहीं किया, इसलिए काशी की जनता उन्हें सबक जरूर सिखाएगी. उनके मुताबिक प्रियंका गांधी उत्तर भारत मे राजनीति का एक मजबूत विकल्प बनकर उभर रही हैं. उनका मानना है कि प्रियंका गांधी देश और कांग्रेस का नेतृत्व करने के लिए बहुत तेजी से आगे आ रही हैं. उनके मुताबिक प्रियंका गांधी के आने से कांग्रेस को एक बड़ी ताकत मिली है और ऊर्जा का संचार हुआ है.



वहीं वाराणसी के वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेंद्र त्रिपाठी मानते हैं कि प्रियंका गांधी के आने से पूर्वांचल की कम से कम 10 सीटों पर प्रभाव जरूर पड़ेगा और हो सकता है कि इनमें से कुछ सीट पर इस प्रभाव के चलते जीत भी मिल जाए. लेकिन पुष्पेंद्र वाराणसी में पीएम मोदी के लिए प्रियंका गांधी को बहुत बड़ी चुनौती नहीं मानते.


वहीं सत्ता में बीजेपी की सहयोगी रही सुहेलदेव भारत समाज पार्टी के प्रदेश महासचिव शशि प्रताप सिंह का मानना है कि प्रियंका गांधी के आने से पीएम मोदी को जीत के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ेगा. वे मानते हैं कि सुभासपा के एनडीए गठबंधन से अलग ही जाने के चलते अब कम से कम दो लाख वोट नहीं मिलेंगे.


समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष डॉ पीयूष यादव ने यहां से सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार के जीतने का दावा किया. उनके मुताबिक गठबंधन को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यहां से कौन चुनाव लड़ता है. उन्होंने कहा कि जल्दी ही गठबंधन के उम्मीदवार की घोषणा होगी और मोदी को हराकर गठबंधन पूरे देश को संदेश देगा.


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बीजेपी काशी क्षेत्र के अध्यक्ष महेश चंद्र श्रीवास्तव ने पीएम मोदी के वाराणसी से एक बार फिर जीतने का दावा किया. उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी और उनका परिवार 'गांधी' नाम का दुरुपयोग कर रहा है और उन्हें गांधी जी के सिद्धांतों से कोई मतलब नहीं है. उनके पति रॉबर्ट वाड्रा हर तरह के भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और ऐसे में यह उम्मीद करना कि वाराणसी की जनता उन्हें पसंद करेगी, यह बिल्कुल असम्भव है. उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी दलित, शोषित, वंचित और समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को विकास की धारा में जोड़ने का काम कर रहे हैं. ऐसे में वाराणसी में उनके लिए कोई चुनौती नहीं है. उन्होंने दावा किया वाराणसी का जन-जन मोदी का चुनाव खुद लड़ रहा है, इस चुनाव में मोदी पीछे हैं लेकिन खुद जनता उनके लिए आगे है. जब जनता चुनाव लड़ रही है तो उनको जीतने से कोई रोक ही नहीं सकता. इसी के चलते कांग्रेस या विपक्ष अबतक किसी उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं कर सका है.


विकास के दावों, गठबंधन के समीकरणों के चलते वाराणसी में मतदान से पहले ही चुनाव बेहद दिलचस्प हो चुका है. विपक्ष मोदी के सामने अबतक किसी गम्भीर उम्मीदवार के नाम की औपचारिक घोषणा नहीं कर सका है. ऐसे में 19 मई को मतदान के बाद 23 मई को परिणाम की घोषणा ही स्थिति को स्पष्ट कर पाएगी कि मोदी के विकास का मॉडल वाराणसी से विजयी होता है या फिर कांग्रेस और विपक्ष के समीकरण.