कानपुर: आईआईटी कानपुर के द्वारा एक तकनीक तैयार की गई है जो भारत में उपलब्ध संवेदनशील या गोपनीय डाटा को सुरक्षित रखने में सहायक मददगार होगी. यह तकनीक फोर्ट नॉक्स तकनीक से बेहतर होगी. देश में उपलब्ध डाटा को टैम्पर प्रूफ बनाने की दिशा में नेशनल साइबर सिक्युरिटी कार्डिनेटर कार्यालय के साथ मिलकर काम कर रहा है. उन्नत ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए सरकारी डाटा को विश्व के किसी भी कोने में बैठकर डाटा हैकर्स से सुरक्षित रखा जाएगा.


क्रिप्टोग्राफी एवं साइबर सिक्यूटिरी के प्रसिद्ध विशेषज्ञ आई.आई.टी कानपुर के प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल एवं प्रो. संदीप शुक्ला आईआईटी मद्रास की प्रो. श्वेता अग्रवाल के साथ मिलकर इस परियोजना पर काम करेंगे. आईआईटी कानपुर एवं आईआईटी मद्रास के छात्र एवं शोधार्थी भी इन विशेषज्ञों का साथ देंगे. संस्थान में एक कंपनी को इन्क्यूबेट किया जाएगा जो इस तकनीक के माध्यम से उत्पाद का निर्माण करेगी. सरकारी एजेन्सियों द्वारा इन उत्पादों का उपयोग किया जाएगा.

इस परियोजना के तहत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर द्वारा देशी उन्नत ब्लाक चेन प्लेटफार्म एवं साफ्टवेयर का विकास किया जाएगा. केन्द्रीय एवं राज्य सरकार के विभागों के प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता लाई जा सकेगी. इस परियोजना की समयावधि 5 वर्ष होगी और इस पर रु. 33.4 करोड़ खर्च किए जाएंगे. नेशनल साइबर सिक्युरिटी कार्डिनेटर ड़ॉ गुलशन राय के प्रयासों से इस परियोजना की फंडिंग का कार्य संभव हो सका है.

इस तकनीक का उपयोग भू-अभिलेखों को सरल, पारदर्शी एवं टैम्पर प्रूफ बनाने और रजिस्ट्री प्रबंधन, ड्राइविंग लाइसेंस एवं अभिलेखों के रख-रखाव के लिए किया जा सकता है. इसके अलावा सरकार के आईटी अथवा किसी भी आईटी अधोसंरचना की साइबर सुरक्षा के लिए इस तकनीक का उपयोग किया जा सकता है.

यह अपने आप में एक बेजोड़ परियोजना है जिसमें एक शैक्षिक संस्थान द्वारा सर्वप्रथम किसी तकनीक पर विचार किया जाएगा, इसके बाद उस पर अनुसंधान किया जाएगा और फिर कंपनी द्वारा उत्पाद का तैयार किया जाएगा. उत्पाद का उपयोग करने की इच्छुक सरकारी एजेन्सियों को इनक्यूबेट कंपनी द्वारा साधन भी उपलब्ध कराएं जाएंगे.

आमतौर पर ब्लाक चेन टेक्नोलॉजी को बिटक्वाइन के संदर्भ में देखा जाता है किन्तु अब इस तकनीक का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा सकता है. ब्लाक चेन टेक्नोलॉजी, लेन-देन एवं डाटा के लिए टैम्पर प्रूफ रिकार्डिंग मैकेनिज्म उपलब्ध कराता है. इसके अलावा अवांछनीय तत्वों की उपस्थिति के प्रभाव को खत्म करता है और यूजर्स को मैकेनिज्म उपलब्ध कराता है जो इवेन्ट को समय रहते रिकार्ड करता है जिससे डाटा की उत्पत्ति, संग्रह एवं उनके क्रम को स्थाई तौर पर रिकार्ड किया जा सकता है.

कोई भी व्यक्ति इस तकनीक की मदद से सरकारी कार्यों के लिए आवश्यक डाटा के संग्रहण एवं पारदर्शिता की जांच कर सकता है. इस तरह ब्लाक चेन ई-गर्वनेन्स के लिए अत्यधिक उपयोदी है. एस्टोनियाई, यूके और यूएई की सरकार अपनी सरकारी तंत्र को मजबूत बनाने के लिए इस तकनीक का भरपूर उपयोग कर रही है.