नई दिल्ली: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के एक टीम ने कहा है कि बिहार के मुजफ्फ़रपुर में इंसेफेलाइटिस बीमारी से होने वाली मौतों में लीची को खाना मुख्य वजह नहीं है क्योंकि इससे नवजात भी प्रभावित हुए हैं. बीमारी से हुई मौतों की जांच करने वाली इस टीम ने कहा कि कुपोषण और मौजूदा गर्मी और उमस का हाथ है.


आईएमए के एक दल ने कहा कि पानी की कमी (डिहाइड्रेशन), खून में चीनी की अत्याधिक कमी (हाइपोग्लूकोमिया) और गर्मी लगने की भी खासी भूमिका है. उन्होंने कहा कि गुनगुने पानी से स्पंज, अधिक मात्रा में पानी पीने और पर्याप्त भोजन लेने से इस बीमारी में फायदा मिल सकता है.


चार सदस्यों वाले इस टीम ने कहा कि स्वास्थ्य जागरूकता पर केंद्रित एक कार्यक्रम चलाने के साथ बच्चों को मुफ्त में खाना देना होगा खासकर रात का खाना. इसके अलावा ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन) का घोल सार्वजनिक रूप से मुहैया किया जाना चाहिये. इससे इस बीमारी के फैलाने का रोकने में मदद मिलेगी.


रविवार को बिहार के मुजफ्फ़रपुर में दो और बच्चों की एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से मौत हो गई. इसे स्थानीय लोग ‘चमकी बुखार’ भी कहते हैं. राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार इस बीमारी की वजह से राज्य के 20 जिलों में 152 मौतें हो चुकी हैं.


आईएमए की टीम ने कहा कि इस बीमारी की वजह के बारे में निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन अधिक गर्मी, नमी और उमस इसमें एक भूमिका निभाते हैं लेकिन लीची खा लेना इसकी मुख्य वजह नहीं हो सकती है क्योंकि इसकी चपेट में नवजात भी आये हैं.


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