सवर्णों का भारत बंद: BHU में प्रदर्शनकारियों ने फूंका पीएम मोदी का पुतला, NH2 जाम- लग रहे हैं मोदी विरोधी नारे
एससी/एसटी (एट्रोसिटी ऐक्ट) के मूल रूप को बहाल करने के केंद्र सरकार के फैसले के ख़िलाफ़ सवर्ण सामाज के लोगों ने एनएच 2 जाम कर दिया है. नेशनल हाइवे को ब्लॉक कर प्रदर्शन करने वाले लोगों का कहना है कि वो किसी संगठन से नहीं जुड़े हैं बल्कि आम नागरिक हैं, जो केंद्र सरकार के फैसले के ख़िलाफ़ हैं.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में भी सवर्णों के भारत बंद का असर दिखने लगा है. यूपी के आगरा में प्रदर्शनकारियों ने आगरा-ग्वालियर हाईवे को जाम कर दिया है. शहर के इटारा चौराहे पर प्रदर्शनकारी मोदी विरोधी नारे लगा रहे हैं. लोगों की मांग है कि एससीएसटी एक्ट में संशोधन को वापस लिया जाए. लोगों ने कहा कि एससीएसटी के लिए कानून ला सकते हैं तो राम मंदिर के लिए क्यों नहीं ?
एससी/एसटी (एट्रोसिटी ऐक्ट) के मूल रूप को बहाल करने के केंद्र सरकार के फैसले के ख़िलाफ़ सवर्ण सामाज के लोगों ने एनएच 2 जाम कर दिया है. नेशनल हाइवे को ब्लॉक कर प्रदर्शन करने वाले लोगों का कहना है कि वो किसी संगठन से नहीं जुड़े हैं बल्कि आम नागरिक हैं, जो केंद्र सरकार के फैसले के ख़िलाफ़ हैं. प्रदर्शनकारियों ने एनएच 2 पर टायर जलाकर दोनों तरफ के आवागमन को पिछले करीब डेढ़ घंटे से रोक रखा है, जिसकी वजह से एनएच 2 पर लंबा ट्रैफिक जाम लगा हुआ है. वहीं प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी एससी-एसटी एक्ट के विरोध में बंद का असर दिख रहा है. वाराणसी के बीएचयू में प्रदर्शनकारी छात्रों ने हैदराबाद गेट पर प्रधानमंत्री मोदी का पुतला फूंका. छात्रों की मांग है कि एसटीएसटी एक्ट में हुए संशोधन को वापस लिया जाए.उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को वापस बहाल नहीं किया तो 2019 में मोदी को वाराणसी और केंद्र में इसका ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ेगा.क्यों हो रहा है बवाल? आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को एससी/एसटी एक्ट में बड़ा बदलाव करते हुए कहा था कि इसके अंतर्गत नामजद आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए संबंधित वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की मंजूरी अनिवार्य होगी. इसके अलावा एक पुलिस उपाधीक्षक यह जानने के लिए प्रांरभिक जांच कर सकता है कि मामला इस अधिनियम के अंतर्गत आता है या नहीं.
विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मोदी सरकार पर आरोप लगाए थे की सरकार ने कोर्ट में दलील ठीक ढ़ंग से नहीं रखी जिसकी वजह से कानून कमजोर हुआ अब फिर दलितों के खिलाफ अत्याचार बढ़ेंगे. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दो अप्रैल को दलितों ने भारत बंद बुलाया था इस दौरान जमकर हिंसा हुई थी.
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से आने वाले बीजेपी सांसदों ने भी विरोध में आवाज उठाई थी और अपनी ही सरकार से कहा था कि सरकार अध्यादेश लाकर कानून को पूर्ववत लागू करे. जिसके बाद मोदी सरकार ने एससी/एसटी एक्ट को पूर्ववत लागू करने के लिए संसोधन विधेयक लोकसभा और राज्यसभा से पास कराया. अब इसके विरोध में सवर्ण वर्ग ने आवाज उठानी शुरू कर दी है.