नई दिल्ली: यूपी निकाय चुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए खुशखबरी लेकर आए. 16 में से 14 मेयर सीटों पर बीजेपी की जीत हुई है. दो सीटों पर बसपा जीती है. कांग्रेस और सपा मेयर सीट पर नहीं जीत पाए हालांकि कांग्रेस ने 110 पार्षद सीटों पर कब्जा किया तो वहीं सपा ने 202 पार्षद सीटों पर कब्जा किया. इस निकाय चुनाव में पहली बार उतरी आम आदमी पार्टी ने 3 पार्षद सीटों पर कब्जा किया जबकि AIMIM ने 12 पार्षद सीटों पर जीत हासिल की.


बीजेपी की स्थिति - बीजेपी ने 14 मेयर सीटों पर, 595 पार्षद सीटों पर, नगर पालिका अध्यक्ष की 70 सीटों पर, नगर पालिका सदस्य की 922 सीटों पर, नगर पंचायत अध्यक्ष की 100 सीटों पर और नगर पंचायत सदस्य की 664 सीटों पर जीत हासिल की है.


कांग्रेस की स्थिति - कांग्रेस ने 110 पार्षद सीटों पर, नगर पालिका अध्यक्ष की 9 सीटों पर, नगर पालिका सदस्य की 158 सीटों पर, नगर पंचायत अध्यक्ष की 17 सीटों पर और नगर पंचायत सदस्य की 126 सीटों पर जीत हासिल की है.


बसपा की स्थिति- बसपा ने मेयर की 2 सीटों पर, पार्षद की 147 सीटों पर, नगर पालिका अध्यक्ष पद की 29 सीटों पर, नगर पालिका सदस्य की 262 सीटों पर, नगर पंचायत अध्यक्ष की 45 सीटों पर और नगर पंचायत सदस्य की 218 सीटों पर जीत हासिल की है.


सपा की स्थिति- सपा ने पार्षद की 202 सीटों पर, नगर पालिका अध्यक्ष की 45 सीटों पर, नगर पालिका सदस्य की 477 सीटों पर, नगर पंचायत अध्यक्ष की 83 सीटों पर और नगर पंचायत सदस्यों की 453 सीटों पर जीत हासिल की है.



AIMIM की जीत के मायने



इस चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने पार्षद की 12 सीटों पर, नगर पालिका सदस्य की 7 सीटों पर नगर पंचायत अध्यक्ष की एक सीट पर और नगर पंचायत सदस्य की 6 सीटों पर कब्जा जमाया है. ओवैसी की ये जीत काफी कुछ कहती है. यूपी के विधानसभा चुनाव में पार्टी को 0.02 प्रतिशत यानि 205232 वोट मिले थे. उससे पहले महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में पार्टी ने 2 सीटें जीती थीं. अब साफ है कि धीरे-धीरे ही सही यूपी में AIMIM पकड़ बना रही है. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के लिए AIMIM आने वाले वक्त में बड़ा खतरा साबित हो सकती है.



यूपी में पैर पसारती AAP



आम आदमी पार्टी ने 3 पार्षद पदों पर, नगर पालिका सदस्य के 17 पदों पर, नगर पंचायत अध्यक्ष के 2 पदों पर और नगर पंचायत सदस्य के 19 पदों पर जीत हासिल की है. आम आदमी पार्टी की ये जीत भी बहुत महत्वपूर्ण है. यूपी में पार्टी अपना संगठन तैयार कर रही है. निश्चित तौर पर इस जीत से पार्टी का हौसला बढ़ेगा और संगठन मजबूत करने में भी मदद मिलेगी. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पार्टी तेजी से पैर पसार रही है और निकाय चुनावों में एक-दो जगहों पर नंबर दो पर भी रही है. पार्टी के सूत्र बताते हैं कि तैयारी 2019 की है और देश भर में पार्टी विस्तार जारी रखेगी.



लोकदल की राह हुई और कठिन



पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बेहद मजबूत पार्टी माने जाने वाली लोकदल अब साफ तौर पर कमजोर होती दिखाई दे रही है. वैसे तो विधानसभा चुनावों में भी पार्टी केवल एक सीट जीत पाई थी और मात्र 1.8% वोट शेयर जुटा पाई थी. अब निकाय चुनावों में भी पार्टी ने 4 पार्षद पद, 11 नगर पालिका सदस्य पद, 3 नगर पंचायत अध्यक्ष पद और 34 नगर पंचायद सदस्य पदों पर जीत हासिल की है. अजित सिंह और जयंत चौधरी की जीतोड़ मेहनत के बाद भी पार्टी की सेहत में सुधार होता नहीं दिख रहा है.



ईवीएम पर फिर सवाल



विधानसभा चुनावों के बाद भी विरोधियों के निशाने पर ईवीएम था और अब निकाय चुनावों के बाद भी ईवीएम पर सवाल उठाए जा रहे हैं. बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि अगर बीजेपी को लोकतंत्र में भरोसा है तो बैलेट पेपर के जरिए चुनाव कराए. उन्होंने साफ कहा कि ऐसा होने पर बीजेपी की सत्ता में वापसी नहीं होगी. अरविंद केजरीवाल से लेकर अन्य सभी दल भी ईवीएम टेम्परिंग की आशंका जता चुके हैं. दरअसल निकाय चुनाव में जिन इलाकों में ईवीएम का इस्तेमाल किया गया है वहां बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा रहा है लेकिन जहां बैलेट पेपर का इस्तेमाल किया गया है वहां बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है.



बीजेपी गुजरात के लिए तैयार



विरोधियों के हमले से बेपरवाह बीजेपी अब उत्साह से लबरेज है और गुजरात चुनाव की तैयारियों में जुट गई है. वैसे तो गुजरात में पीएम मोदी समेत बीजेपी का पूरा लश्कर, चुनावी समर में उतरा हुआ है लेकिन इस यूपी निकाय की इस जीत को बीजेपी, सरकार की नीतियों पर जनता की मुहर बता रही है. नोटबंदी और जीएसटी के बाद हासिल हुई ये जीत बीजेपी के लिए सही में मायने रखती भी है. अब देखना ये होगा कि गुजरात में बीजेपी का प्रदर्शन कैसा रहने वाला है?



कांग्रेस की परेशानियां बढ़ीं



निकाय चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन जैसा रहा है उस पर सवाल उठाए जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जो लोग गुजरात चुनाव के लिए बड़ी बड़ी बातें कर रहे थे, निकाय चुनाव में उनका खाता भी नहीं खुल पाया. ऐसे लोगों का अमेठी लगभग सूपड़ा ही साफ हो गया है. जनता ने इन लोगों को सबक सिखा दिया है. योगी का सीधा इशारा राहुल गांधी की ओर था. राहुल गांधी पर स्मृति ईरानी ने भी निशाना साधा. कांग्रेस के लिए ये हार परेशानी का सबब भी है क्योंकि देश भर में बीजेपी को घेरने का प्रयास कर रही कांग्रेस को झटका तो लगा ही है.