दलितों के मामले में बीजेपी और मोदी सरकार का चेहरा दोहरे मापदंड वाला है: मायावती
बीजेपी शासित सरकारों को कटघरे में खड़ा करते हुए बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को कहा कि एससी/एसटी अत्याचार निवारण कानून में भारी ढील और उसमें रियायत दिए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा के लिए लंबित है, फिर भी बीजेपी शासित राज्यों द्वारा इस कानून को लगभग निष्प्रभावी बनाने की कोशिश की जा रही है.
लखनऊ: बीजेपी शासित सरकारों को कटघरे में खड़ा करते हुए बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को कहा कि एससी/एसटी अत्याचार निवारण कानून में भारी ढील और उसमें रियायत दिए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा के लिए लंबित है, फिर भी बीजेपी शासित राज्यों द्वारा इस कानून को लगभग निष्प्रभावी बनाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि कानून को लगभग निष्प्रभावी बनाने का आदेश जारी कर देना दलित समाज के प्रति बीजेपी सरकार की निरंकुशता और क्रूरता दर्शाता है. मायावती ने कहा कि दलितों के मामले में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व और स्वयं मोदी सरकार का चाल, चरित्र और चेहरा पाखंडी और दोहरे मापदंड वाला है.
बता दें कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान सरकार ने एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने का आदेश जारी किया है. जबकि केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर किया है. मायावती ने कहा कि बीजेपी शासित राज्यों खासकर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सरकारों द्वारा एससी/एसटी कानून को लगभग निष्क्रिय और निष्प्रभावी बना देने वाला सरकारी आदेश जारी करना अति-निंदनीय है. उन्होंने कहा कि यह इनकी सामंती मानसिकता को दर्शाता है. क्या ऐसा करके बीजेपी की सरकारों ने अपनी ही पार्टी के प्रधानमंत्री पर अविश्वास व्यक्त नहीं किया है?
बीएसपी नेता ने कहा कि ऐसे में बीजेपी सरकारों द्वारा बिना थोड़ा इंतजार किए नोटबंदी की तरह आपाधापी में एससी/एसटी कानून को भी लगभग व्यर्थ बना देने वाला सरकारी आदेश जारी करना बीजेपी के दोगले चरित्र को उजागर करता है. इस स्थिति में देश की आम जनता और खासकर देश के करोड़ों एससी-एसटी और पिछड़े वर्ग के लोग अपने हित के लिए कैसे रत्ती भर भी बीजेपी सरकार पर भरोसा कर सकते हैं.