इंदौरः मध्यप्रदेश में कोविड-19 के प्रसार और ऊंचे तापमान के प्रभावों को लेकर विशेषज्ञ हालांकि किसी सटीक निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके हैं. लेकिन सूबे में पारा चढ़ने के बाद भी इस महामारी के नये मरीजों का मिलना जारी है. खरगोन, राज्य के सबसे गर्म इलाकों में पारंपरिक रूप से शुमार है. मौसम विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि खरगोन में रविवार को दिन का अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो पूरे प्रदेश में सर्वाधिक रहा.
बहरहाल, तापमान में उछाल के बावजूद खरगोन में कोविड-19 का प्रकोप बरकरार है. खरगोन के जिलाधिकारी गोपालचंद्र डाड का कहना है "पहले हम भी इन कयासों पर विचार कर रहे थे कि गर्मी बढ़ने के साथ ही जिले में कोविड-19 का प्रकोप कम हो सकता है. लेकिन फिलहाल ऐसा होता नहीं दिख रहा." उन्होंने बताया, "खरगोन में कोविड-19 के नये मरीज लगातार मिल रहे हैं. तापमान बढ़ने से जिले में इस महामारी के प्रसार और तीव्रता में कोई उल्लेखनीय बदलाव नहीं देखा गया है."
खरगोन की मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) रजनी डावर के मुताबिक जिले में पिछले 24 घंटो में कोविड-19 के तीन नये मामले सामने आने के बाद इसके मरीजों की तादाद 140 पर पहुंच गयी है. इनमें से 11 लोगों की मृत्यु हो चुकी है.
इस बीच, खरगोन से करीब 125 किलोमीटर दूर इंदौर में भी तापमान में बढ़ोतरी के बीच कोविड-19 के नये मरीजों के मिलने का सिलसिला जारी है. इंदौर, देश में इस महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल है. अधिकारियों ने बताया कि इंदौर जिले में पिछले 24 घंटे के दौरान 55 नये मामलों की पुष्टि के साथ ही कोविड-19 के मरीजों की तादाद बढ़कर 3,486 हो गयी है. इनमें से 132 लोगों की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है.
इंदौर में रविवार को दिन का अधिकतम तापमान 39 डिग्री सेल्सियस के आस-पास दर्ज किया गया. इस बीच, इंदौर के शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग को कुछ ऐसे संकेत मिले हैं जो ऊंचे तापमान और कोविड-19 की तीव्रता के आपसी संबंध की ओर इशारा करते हैं.
विभाग के प्रमुख सलिल साकल्ले ने बताया, "हम देख रहे हैं कि इंदौर में जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है, वैसे-वैसे बिना लक्षणों वाले और हल्के लक्षणों वाले मरीजों की तादाद में इजाफा हो रहा है." साकल्ले ने हालांकि अपनी बात में जोड़ा कि फिलहाल इन संकेतों से किसी सटीक निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका है और इसके लिये विस्तृत अनुसंधान की जरूरत है.
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