मेरठ. मेरठ के लाल 45 वर्षीय डॉ अंकित भरत ने अमेरिका में भारत के हुनर और युवा जोश का डंका बजा दिया. दरअसल डॉ अंकित ने 20 वर्षीय युवती जिसके दोनों फेफड़े कोरोना संक्रमित होने की वजह से खराब हो गए थे, सफल ऑपरेशन करने के बाद डॉक्टर अंकित ने दोनों फेफड़े बदल दिए, जिसके बाद अमेरिका ही नहीं पूरी दुनिया में इस होनहार भारतीय डॉक्टर की प्रशंसा होने लगी और इस तारीफ पर पिता डॉ भारत गुप्ता फूले नहीं समा रहे हैं.


आपको बता दें अमेरिका में भारतीय मूल के डॉक्टर अंकित भरत के नेतृत्व में सर्जनों ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है. उन्होंने कोरोनो वायरस संक्रमण के कारण एक महिला के फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंचने के बाद उसे फेफड़े का नया सेट दे दिया. यानी कि महिला के फेफड़े का प्रत्यारोपण (lung transplant)कर दिया. अमेरिका में Covid-19 महामारी के दौर में यह अपने तरह की पहली सफल सर्जरी है.



उत्तर प्रदेश के मेरठ में जन्मे डॉ अंकित के नेतृत्व में यहां शल्य चिकित्सकों ने एक महिला का फेफड़ा प्रतिरोपित किया. उसके शरीर का यह महत्वपूर्ण अंग कोरोना वायरस के संक्रमण से खराब हो गया था. कोरोना महामारी शुरू होने के बाद से अमेरिका में यह इस तरह की पहली सर्जरी मानी जा रही है.


शिकागो स्थित नार्थवेस्टर्न मेडिसिन अस्पताल ने कहा कि जिस महिला की यह सर्जरी की गई, उसकी उम्र करीब 20 साल है. नार्थवेस्टर्न मेडिसिन फेफड़ा प्रतिरोपण कार्यक्रम के थोरेसिक (वक्ष से संबंधित) सर्जरी प्रमुख एवं सर्जिकल निदेशक अंकित भरत ने कहा, ''फेफड़ा का प्रत्यारोपण किया जाना ही उसके जीवित रहने का एकमात्र विकल्प था.''


डॉक्टर बोले- फेफड़े दोबारा ठीक होना मुश्किल था, इसलिए ट्रांसप्लांट किया


नॉथवेस्टर्न मेमोरियल हॉस्पिटल केपल्मनरी स्पेशलिस्ट डॉ. बेथ मालसिन ने कहा कि संक्रमित युवती कोविड-19 आईसीयू की सबसे बीमार मरीज थी. उसकी हालत बहुत ज्यादा खराब थी. उसके बचने की उम्मीद बहुत कम थी. जून की शुरुआत में उसके फेफड़े बहुत ज्यादा खराब होने लगे थे. उनमें कोई सुधार नहीं आ रहा था. वायरस के कारण उनमें इतना नुकसान हो चुका था कि दोबारा से ठीक होना संभव नहीं था. इस पर डॉक्टरों ने उसके फेफड़े ट्रांसप्लांट करने का फैसला लिया.


कोरोना टेस्ट निगेटिव आने के 48 घंटे बाद ट्रांसप्लांट हुआ
डॉ. बेथ मालसिन ने बताया कि हमें दिन-रात यह देखना होता था कि उसके सभी ऑर्गन तक पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंच रही है या नहीं ताकि ट्रांसप्लांट के दौरान वे ठीक रहे और ऑपरेशन के टाइम धोखा न दें. इसके बाद जैसे ही उसकी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई, हमने तुरंत ट्रांसप्लांट की तैयारी शुरू कर दी. 48 घंटे बाद ऑपरेशन से फेफड़ों को ट्रांसप्लांट कर दिया जो सफल रहा.


हालांकि एबीपी गंगा डॉ अंकित भरत के पिता भारत कुमार गुप्ता से बात की और जानने की कोशिश की कि आखिर जब उन्हें अपने बेटे के द्वारा किए गए सफल ऑपरेशन की जानकारी मिली तो उन्हें कैसा लगा. उनका कहना था कि वो पल उनकी जिंदगी का सबसे सुनहरा पल था जब उन्हें ये जानकारी मिली कि उनके बेटे ने एक ऐसा ऑपरेशन किया है जिसकी तारीफ पूरी दुनिया मे हो रही है. उन्होंने बताया कि शुरू से ही अंकित को अमेरिका पसंद था वो पढ़ाई के दौरान भी दो बार जा चुका था और 2003 में वो पूरी तरह वहा सेट हो गया और एक के बाद एक मुकाम पाता गया लेकिन ये मुकाम उसकी और हमारी जिंदगी का यादगार पल है. हम इसे भुला नहीं पाएंगे.