लखनऊ: हिन्दुस्तान का सम्भावनापूर्ण अक्षय ऊर्जा क्षेत्र मौजूदा आवश्यकताओं के मद्देनजर इस वक्त केवल सौर ऊर्जा में ही तीन लाख युवाओं को रोजगार दे सकता है. एक अंतरराष्ट्रीय संगठन की ताजा रिपोर्ट में यह दावा किया गया है.
‘पॉवर फॉर ऑल’ नामक संगठन की ओर से बुधवार को जारी की गयी “न्यू एनर्जी एस्सेस जॉब्स” रिपोर्ट के मुताबिक भारत में वर्ष 2022 तक 175 गीगावॉट सौर और वायु ऊर्जा उत्पादित करने का लक्ष्य है. अनुमान के मुताबिक भारत में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में ही रोजगार के कम से कम तीन लाख अवसर उत्पन्न हो सकते हैं, जो कि वर्तमान मौकों के मुकाबले कहीं ज्यादा हैं.
हालांकि ऐसी स्थिति पैदा करने के लिये नयी पीढ़ी की ऊर्जा श्रमशक्ति पर और अधिक ध्यान केन्द्रित करना होगा. ऐसी श्रमशक्ति जो ग्रामीण उपभोक्ताओं को समझे और उन्हें प्रोत्साहित करे.
रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण भारत में स्वच्छ ऊर्जा आधारित आजीविका उपकरणों का बाजार 50 अरब डॉलर का है. जबकि इसमें 30 अरब डॉलर का सोलर वॉटर पम्प का बाजार शामिल नहीं है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के विकेन्द्रित अक्षय ऊर्जा क्षेत्र के लिये घरेलू सौर ऊर्जा प्रणालियों, हरित मिनी ग्रिड और ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सम्बन्धी उपकरणों की बड़े पैमाने पर स्थापना का मौका, दरअसल अरबों डॉलर के निवेश का सुनहरा अवसर है. इससे घरेलू ऊर्जा उद्योग का निर्माण होगा. साथ ही इससे भारत के दो प्रमुख लक्ष्यों खासकर महिलाओं एवं युवाओं के लिये रोजगार के ज्यादा अवसर और अधिक बिजली उत्पादन को एक साथ साधा जा सकता है.
रिपोर्ट के अनुसार देश में ‘सूर्य मित्र’ कार्यक्रम के तहत 50 हजार टेक्नीशियंस को सोलर पैनल लगाने और उनका रखरखाव करने का प्रशिक्षण दिये जाने का लक्ष्य तय किया गया है. उनमें से करीब 30 हजार को प्रशिक्षित भी किया जा चुका है. यह स्किल काउंसिल फॉर ग्रीन जॉब्स के गठन की दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम है.
भारत के सौर ऊर्जा क्षेत्र में तीन लाख युवाओं को रोजगार देने की क्षमता: सर्वे
एजेंसी
Updated at:
01 Nov 2018 03:08 PM (IST)
‘पॉवर फॉर ऑल’ नामक संगठन की ओर से बुधवार को जारी की गयी “न्यू एनर्जी एस्सेस जॉब्स” रिपोर्ट के मुताबिक भारत में वर्ष 2022 तक 175 गीगावॉट सौर और वायु ऊर्जा उत्पादित करने का लक्ष्य है. अनुमान के मुताबिक भारत में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में ही रोजगार के कम से कम तीन लाख अवसर उत्पन्न हो सकते हैं, जो कि वर्तमान मौकों के मुकाबले कहीं ज्यादा हैं.
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