वाराणसी: इंडियन और नेपाल के सदियों पुराने संबंधों का प्रतीक नेपाली मंदिर तोड़ा नहीं जाएगा. इस बारे में काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के सीईओ विशाल सिंह ने साफ़ किया कि मंदिर को तोड़े जाने की कोई योजना नहीं है. बीते कुछ दिनों से यह खबर आ रही थी कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की जद में आने के चलते ललिता घाट स्थित करीब पौने दो सौ साल पुराना नेपाली मंदिर तोड़ दिया जाएगा.


अधिग्रहित किए जाने वाले मन्दिरों की लिस्ट में ही नहीं है नेपाली मंदिर
नेपाली मंदिर का मुद्दा पीएम नरेंद्र मोदी के नेपाल दौरे पर उठाये जाने की बात को विशाल सिंह ने सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि नेपाली मंदिर अधिग्रहित किए जाने वाले मन्दिरों की लिस्ट में ही नहीं है. उन्होंने बताया कि मंदिर के कुछ हिस्से जर्जर हो चुके हैं, उनकी मरम्मत के लिए नेपाली मंदिर प्रबन्धन समिति के लोगों से उनसे सम्पर्क किया था. मंदिर प्रबन्धन समिति चाहती है कि काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट मंदिर के संरक्षण में उनकी मदद करे. सीईओ ने कहा कि इस संबंध में सरकार को सूचित भी किया गया है. उधर मंदिर के प्रबंधन समिति के रोहित ढकल ने भी बताया कि आज तक मंदिर के अधिग्रहण या उसके तोड़े जाने को लेकर कोई सरकारी आदेश या काशी विश्वनाथ मंदिर की तरफ कोई जानकारी नहीं आई है.


प्रोजेक्ट की जद में आने वाले धार्मिक स्थलों का होगा सुन्दरीकरण
सीईओ विशाल सिंह ने बताया कि काशी विश्वानाथ कॉरिडोर की जद में आने वाले किसी भी मन्दिर या मठ के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होगी. उनका कहना है कि इस प्रोजेक्ट की जद में जो धार्मिक स्थल आएगा उसका सुन्दरीकरण होगा. उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत कुल 26 मंदिर और मठ चिन्हित किए गए हैं, जहां अभी आम श्रद्धालुओं का पहुंचना काफी मुश्किल है. इन मठों और मंदिरों का धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से विकास किया जाएगा. प्रोजेक्ट की जद में काशीखंड में वर्णित विग्रहों के बारे में उन्होंने बताया कि इन्हें विश्वनाथ मंदिर कैंपस में एक स्पेशल एरिया बनाकर संयोजित और संरक्षित किया जाएगा.



भारत और नेपाल सरकार की आपसी सहमति से होगा आधिग्रहण
नेपाली मंदिर ट्रस्‍ट के महामंत्री गोपाल प्रसाद अधिकारी के मुताबिक़ मंदिर के कुछ हिस्से पर दबंग किस्म के लोगों ने कब्जा कर रखा है. नेपाल सरकार इस मुद्दे पर भारत सरकार को सूचित भी कर चुकी है. इसी मामले को नेपाल सरकार पीएम नरेंद्र मोदी के नेपाल दौरे के समय उनके सामने उठाएगी. मंदिर तोड़े जाने के मुद्दे पर उन्होंने बताया कि अभी तक उनके पास ऐसी कोई भी आधिकारिक सूचना नहीं आई है. उनका कहना है कि अगर मंदिर का अधिग्रहण करना भी होगा तो भारत और नेपाल सरकार आपसी सहमति से इस प्रक्रिया को अंजाम देंगी.


बता दें इससे पहले खबर आई थी कि नेपाली मंदिर के तोड़े जाने की योजना से भारत-नेपाल संबंधों पर विपरीत असर पड़ सकता है. इस मुद्दे पर साउथ एशिया फाउंडेशन ने नेपाल के विदेश मंत्रालय से मंदिर को बचाने के लिए एक पत्र भी लिखा है. फाउंडेशन के सचिव राहुल बरुआ के मुताबिक़ नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्‍याल ने इस मुद्दे पर पीएम मोदी से उनके नेपाल दौरे पर बातचीत करने का भरोसा दिया है.