नई दिल्ली: बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर हाऊस में 34 लड़कियों से रेप मामले में जांच सीबीआई के हाथों में है. इस मामले में नीतीश कुमार सरकार में समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर पर भी आरोप लगे हैं. चंद्रशेखर पर आरोप है कि वो रात में बालिका गृह जाते थे. इस बीच मंजू वर्मा को लेकर बिहार की राजनीति में नई उठा पटक शुरू हो गई है. बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी मंजू वर्मा के समर्थन में हैं जबकि बिहार बीजेपी के बड़े नेता सीपी ठाकुर ने नीतीश सरकार में मंत्री मंजू वर्मा को हटाने की मांग की है.
सुशील मोदी ने किया बचाव
सुशील मोदी ने मंजू वर्मा का समर्थन किया, ट्वीट कर कहा, ''बीजेपी पूरी तरह मंजू वर्मा के समर्थन में है, उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं है. जिन्हें सीबीआई ने रेलवे टेंडर घोटाले में समन किया है, जिनकी दो दर्जन बेनामी संपत्ति ईडी और आईटी ने जब्त की हैं, हमें नैतिकता पर लेक्चर दे रहे हैं.''
सीपी ठाकुर ने क्या मांग की?
सीपी ठाकुर ने कहा, ''मुझे नहीं पता कि उनके पति इसमें शामिल हैं या नहीं, मैं सिर्फ इतना कह रहा हूं जब तक सीबीआई की जांच हो रही है उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए. एक बार सीबीआई से क्लीन चिट मिलने के बाद वो दोबारा मंत्री बन सकती हैं.''
LOP पद से तेजस्वी इस्तीफा दें: जेडीयू
वहीं दूसरी ओर जेडीयू ने तेजस्वी यादव से ही इस्तीफे की मांग की है. जेडीयू नेताओं का कहना है कि तेजस्वी को रेलवे टेंडर घोटाले में सीबीआई ने समन किया है. इसके साथ ही उनके ऊपर और भी बहुत से आरोप हैं. वो विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं, उन्हें नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए. जेडीयू प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा है कि "बीजेपी ने उनकी उम्र को देखते हुए सीपी ठाकुर को आराम करने की सलाह दी है. बीजेपी इनको और शत्रुघ्न सिन्हा को सीरियसली नहीं लेती है. मंजू वर्मा आखिर क्यों इस्तीफा दें. ना उनपर और ना ही उनके पति पर कोई एफआईआर है. एक एक्यूज़ कि पत्नी के कहने भर से कोई आरोपी नहीं हो जाता.''
अधिकारियों पर गिरी गाज, अब तक 14 सस्पेंड
टाटा इंस्ट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS) की रिपोर्ट में मुज़फ़्फ़रपुर के अलावा जिन शेल्टर होम में अनियमितताओं का ज़िक्र था, उन जिलों के अधिकारियों पर गाज गिरनी शुरू हो गई है. पहले ही 6 जिलों में बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक निलम्बित किए जा चुके हैं और अब गया की सहायक निदेशक नेहा नुपुर को निलम्बित कर दिया गया है.
इसके साथ ही अररिया, पूर्वी चंपारन, पटना, गया, मधेपुरा, शिवहर के ज़िला बाल संरक्षण पदाधिकारी (संस्थागत) और गया में पर्यवेक्षण गृह के अधीक्षक को निलम्बित कर दिया है. अब तक विभाग की ओर से कुल 14 पदाधिकारियों को निलम्बित किया जा चुका है.