Inshort: वाराणसी, पीएम नरेंद्र मोदी का रोड शो, काशी विश्वनाथ मंदिर और दशाश्वमेध
विश्व के प्राचीनतम शहर को एक बड़ी राजनीतिक पहचान तब मिली जब नरेंद्र मोदी यहां से सांसद बने और बाद में देश के प्रधानमंत्री. पीएम मोदी ने भी इस शहर को रिटर्न गिफ़्ट देने का वादा किया और दावा किया कि इस शहर का विकास जापान के सांस्कृतिक शहर क्योटो की तर्ज़ पर किया जाएगा.
नई दिल्ली: वाराणसी धर्म और आस्था का शहर है जिसे हम काशी के नाम से भी जानते हैं. इस शहर की जो सबसे बड़ी खासियत है वो है यहां के लोग. यहां के हर शख्स के भीतर बसता है काशी. पुराने समय में कभी इसे बनारस के नाम से भी जाना जाता था यानि वो शहर जिसका रस हमेशा बना रहता है. बनारस दुनिया के सबसे पुराना शहरों में शुमार किया जाता है. एक इतिहासकार ने तो यहां तक कहा है कि ये शहर इतिहास और परंपराओं से भी पुराना है. तो आइए बात शुरू करते हैं जीवनदायनी गंगा से जो बनारस के लिए और बनारस इसके लिए जाना जाता है.
यहां पर अविरल गंगा अपने 84 घाटों के साथ सालों से खूबसूरती बिखेरती आ रही है. दूर-दूर तक फैला गंगा जी का पानी, उनमें चलती नावें, सुबह शाम की आरती, ढेर सारे मंदिर, घंटों की आवाजें बनारस की एक अलग ही पहचान बनाते हैं.
विश्व के प्राचीनतम शहर को एक बड़ी राजनीतिक पहचान तब मिली जब नरेंद्र मोदी यहां से सांसद बने और बाद में देश के प्रधानमंत्री. पीएम मोदी ने भी इस शहर को रिटर्न गिफ़्ट देने का वादा किया और दावा किया कि इस शहर का विकास जापान के सांस्कृतिक शहर क्योटो की तर्ज़ पर किया जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल अपने नामांकन से पहले आज वाराणसी में रोड शो करेंगे. ये रोड शो करीब सात किलोमीटर लंबा होगा. इस दौरान पीएम मोदी बीएचयू से लेकर दशाश्वमेघ घाट तक लोगों से मिलेंगे. रोड शो के बाद शाम में पीएम मोदी का गंगा आरती करने का भी कार्यक्रम है. इसके लिए दशाश्वमेध घाट पर जोर शोर से तैयारियां की गई हैं. इस घाट को बिल्कुल दुल्हन की तरह से सजाया गया है. मोदी का रोड शो बीएचयू चौराहे पर लगे पंडित मदन मोहन मालवीय की मूर्ति के पास से शुरू होगा. मोदी यहां प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद रोड शो शुरू करेंगे.
पीएम नरेंद्र मोदी का रोड शो अस्सी मोड़, मुमुक्षु भवन, आनंदमयी अस्पताल, शिवाला तिराहा, सोनारपुरा, जंगमबाड़ी होते हुए गोदौलिया पहुंचेगा.
काशी विश्वनाथ मंदिर पीएम मोदी के रोड शो में काशी विश्व नाथ मंदिर अंतिम पड़ाव है. ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. इस मंदिर के उपरी भाग में करीब 800 किलो सोना लगाया गया है जो इसे वाराणसी में स्वर्ण मंदिर के रूप में भी पहचान दिलाता है. इस मंदिर का जिक्र स्कंद पुराण में भी मिलता है. यहां की आरती का भी अपना ही एक महत्व है. मंत्रोच्चार और घंटो के आवाज के बीच अंदर का शोर जैसे घुलता हुआ सा लगता है. द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सबसे प्रमुख काशी विश्व नाथ मंदिर में यू तो पूरे साल भक्तों की भीड़ रहती है लेकिन महाशिवरात्रि पर यहां भक्तों का खास जमावड़ा रहता है. यहां दिन रात भक्तों की लंबी लाइन लगी रहती है. भक्त जल, फूल-माला, चंदन के साथ बाबा का दर्शन और जलाभिषेक करते हैं.
दशाश्वमेध घाट वाराणसी वैसे तो अपने घाटों के लिए जाना जाता है. पर इसमें सबसे खास है दशाश्वमेध घाट जहां की गंगा आरती पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. यहां की आरती उसमें गाए जाने वाले भजन, शंखों की आवाज और बेला-चमेली के फूल और धूप बत्तियों की खुशबू एक अलग अहसास देती है. ऐसा कहा जाता है कि इस जगह पहली बार आरती तब की गई थी जब पहली बार भगवान शिव यहां आए थे. खुद देवगणों ने आरती की थी. फिर राजा-महाराजाओं ने इस परंपरा को जिंदा रखा. उसके बाद यह आरती निरंतर होती आ रही है. गंगा जी की ये आरती शाम को सूरज ढलने के बाद शुरू होती है, जो करीब 45 मिनट की होती है. आरती से पहले ही भक्तों की भीड़ घाट पर पहुंचना शुरू हो जाती है. इसके अलावा यहां शीतला माता का मंदिर भी है जो भक्तों की आस्था का केंद्र है. इसके अलावा यह घाट बम धमाकों जैसे हादसों का भी गवाह रहा है. उसके बाद भी ये प्राचीन शहर अपनी संस्कृति वैसे के वैसे संजोए हुए है.
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