कंचन गुप्ता:- पहली और सीधे शब्दों में इसे उत्तरप्रदेश पर बीजेपी का कब्जा मानूंगा. इस चुनाव से जो सबसे अहम बात है वो ये है कि मोदी ने बीजेपी के कोर वोट में बड़ा बदलाव किया है. बीजेपी ने अपने साथ सवर्णों और व्यापारी वर्ग की पार्टी के साथ पिछड़ी जाति और दलित जोड़े हैं. ऐसा लग रहा कि अब ये बीजेपी के वोट का मुख्य बेस बन गया है. बेस वोटर का ये मॉडल पार्टी का ऑल इंडिया मॉडल बन सकता है बीजेपी के लिए. एक खास बात ये है कि मुस्लिम वोट के अंदर भी बदलाव की सुगबुगाहट दिख रही है. इसके बाद रोकने वाले वोट की जगह वो जिताने वाला वोट बनने की ओर बढ़ेगा. अब बीजेपी तय करेगी अगला राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति कौन होगा. राज्यसभा में बीजेपी की ताकत बढ़ने से विधायकी काम पर असर पड़ेगा एक अहम बात अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर, बिहार के बाद जो लेफ्ट टर्न दिख रहा था वो रूकेगा. बिग टिकट्स रिफार्म्स जोर पकड़ेंगे. एक राजनीतिक स्थिरता दिखेगा और ऐसे में निवेश के लिए माकूल माहौल बनेगा. जो अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा.


अरविंद मोहन:-  इस जीत का सीधा संदेश है स्टेट पॉलिटिक्स का खात्मा. गठबंधन की राजनीति और क्षेत्रीय राजनीति का अंत. बीजेपी के लिए इस जीत का जो एक सीधा मायना दिख रहा है कि वो ये है कि पार्टी की राजनीति और सरकार दोनों एक व्यक्ति के इर्द गिर्द सिमट गयी है. ये इंदिरा गांधी वाली राजनीति की वापसी लग रही है, जहां पार्टी और सरकार दोनों का केन्द्र वही रहती थीं. अब कुछ सवाल हैं जैसे कि अब मोदी गरीबों और पिछड़ों की राजनीति कहां तक ले जाएंगे? मुसलमानों के लिए क्या करते हैं इसे भी देखना होगा, विपक्ष को जिंदा रहना है तो उसको बेहतर गठबंधन बनाने होंगे. लोगों के मुद्दे उठाने होंगे.


राजकिशोर:– उत्तरप्रदेश की राजनीति का परंपरागत ढर्रा टूटा है. यूपी के नतीजों का असर राष्ट्रीय राजनीति पर काफी ज्यादा होगा. तीन तलाक समेत तमाम ऐसे मुद्दे जो पुरानी सरकारें छूने से बचती रही हैं उस दिशा में बहस औj तेज होगी. इस जीत का सबसे पहला असर राष्ट्रपति चुनाव पर पड़ेगा. राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बीजेपी के अंदर जो भी चिंता रही होगी वो दूर हुई है और इस मोर्चे पर बीजेपी मजबूत हुई है. साथ ही राज्यसभा में बीजेपी मजबूत होगी. अब सबसे बड़ी बात संघ और बीजेपी परिवार में मोदी और शाह पर सवाल उठाने की हैसियत किसी की नही रहेगी.


विजय विद्रोही:–  यूपी जैसे पिछड़े राज्य में जहां जातिवाद और परिवारवाद हावी रहता है वहां एक राष्ट्रीय दल की जीत एक नई तरह की राजनीति की संभावना के दरवाजे खोलती है. बीजेपी को बम्पर जीत के बाद उस संभावना को आगे बढ़ाने की भारी चुनौती होगी. वायदों पर खरे नहीं उतरे इस नई राजनीति की भ्रूण हत्या हो जाएगी. तात्कालिक लाभ तो बीजेपी को अपनी पसंद के शख्स को  राष्ट्रपति बनवाने से मिलेगा. मोदी सरकार अध्यादेशों पर ज्यादा यकीन करती रही है जहां राष्ट्रपति की भूमिका जरूरी हो जाती है. राज्यसभा में कुछ राहत जरुर मिलेगी लेकिन विवादास्पद मुद्दों पर अभी भी जूझना पड़ेगा. किसानों का कर्ज माफ करने का चुनावी वायदा यूपी में बीजेपी को तत्काल निभाना होगा जिसका असर अन्य बीजेपी शासित राज्यों में होगा. अलबत्ता आर्थिक सुधारों को आगे ले जाने का मोदी सरकार के पास सुनहरा मौका है.